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आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद
पर्यन्त इसी प्रकार कहना । द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय में वचनयोग नहीं कहना । पञ्चेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिकों में भी सम्यगमिध्यात्व, अवधिज्ञान, विभंगज्ञान, विभंगज्ञान, मनोयोग और वचनयोग, ये पांच पद नहीं कहना । मनुष्यों में अलेश्यत्व, सम्यग्मिथ्यात्व, मनः पर्यवज्ञान, केवलज्ञान, विभंगज्ञान, नोसंज्ञोपयुक्त, अवेदक, अकषायी, मनोयोग, वचनयोग और अयोगी ये ग्यारह पद नहीं कहना । वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिकों के विषय में नैरयिकों के समान पूर्वोक्त तीन पद नहीं कहना । शेष स्थान में सर्वत्र प्रथम और द्वितीय भंग । एकेन्द्रिय जीवों के सभी स्थानों में प्रथम और द्वितीय भंग कहना ।
पापकर्म के समान ज्ञानावरणीयकर्म में भी कहना । इसी प्रकार आयुष्यकर्म को छोड़कर अन्तरायकर्म तक कहना । भगवन् ! अनन्तरोपपन्त्रक नैरयिक ने आयुष्य कर्म बांधा था ? गौतम ! तृतीय भंग जानना । भगवन् ! सलेश्य अनन्तरोपपपन्नक नैरयिक ने क्या आयुष्कर्म बांधा था ? गौतम ! तृतीय भंग जानना । इसी प्रकार यावत् अनाकारोपयुक्त पद तक सर्वत्र तृतीय भंग । इसी प्रकार मनुष्यों के अतिरिक्त वैमानिकों तक तृतीय भंग । मनुष्यों में सभी स्थानों में तृतीय और चतुर्थ भंग, किन्तु कृष्णपाक्षिक मनुष्यों में तृतीय भंग ही होता है । सभी स्थानों में नानात्व पूर्ववत् । 'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है ।
शतक - २६ उद्देशक - ३
[९८२ ] भगवन् ! क्या परम्परोपपन्नक नैरयिक ने पापकर्म बांधा था ? गौतम ! प्रथम और द्वितीय भंग जानना । प्रथम उद्देशक समान परम्परोपपन्नक नैरयिक में पापकर्मादि नौ दण्डक सहित यह उद्देशक भी कहना । आठ कर्मप्रकृतियों में से जिसके लिए जिस कर्म की वक्तव्यता कही है, उसके लिए उस कर्म की वक्तव्यता अनाकारोपयुक्त वैमानिकों तक न्यूनाधिकरूप से कहना । 'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है ।
शतक - २६ उद्देशक - ४
[९८३] भगवन् ! क्या अनन्तरावगाढ़ नैरयिक ने पापकर्म बांधा था ? इत्यादि प्रश्न । गौतम ! किसी ने पापकर्म बांधा था, इत्यादि क्रम से अनन्तरोपपन्नक के नौ दण्डकों सहित के उद्देशक समान अनन्तरावगाढ़ नैरयिक आदि वैमानिक तक अन्यूनाधिकरूप से कहना चाहिए । 'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार ।
शतक - २६ उद्देशक - ५
[९८४] भगवन् ! क्या परम्परावगाढ़ नैरयिक ने पापकर्म बांधा था ? इत्यादि प्रश्न । गौतम ! परम्परोपपन्नक के विषय में उद्देशक समान परम्परावगाढ़ (नैरयिकादि) के विषय में यह अन्यूनाधिक रूप से कहना चाहिए । 'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है ।
शतक - २६ उद्देशक- ६
[९८५ ] भगवन् ! क्या अनन्तराहारक नैरयिक ने पापकर्म बांधा था ? इत्यादि प्रश्न | गौतम ! अनन्तरोपपन्नक उद्देशक समान यह समग्र अनन्तराहारक उद्देशक भी कहना । शतक - २६ उद्देशक - ७
[९८६] भगवन् ! क्या परम्पराहारक नैरयिक ने पापकर्म का बन्ध किया था ? इत्यादि