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भगवती-२४/-/३/८४४
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के समान यहाँ भी भवादेश तक गमक कहना चाहिए । काल की अपेक्षा से जघन्य दस हजार. वर्ष अधिक सातिरेक पूर्वकोटिकवर्ष और उत्कृष्ट देशोन पांच पल्योपम; इतने काल तक यावत् गमनागमन करता है । यही जघन्यकाल की स्थिति वाले नागकुमारों में उत्पन्न हो, तो उसके भी कहनी चाहिए । विशेष यह है कि यहाँ नागकुमारों की स्थिति और संवेध जानना ।
उत्कृष्ट काल की स्थिति वाले नागकुमारों में उत्पन्न हो, तो भी यही कहनी चाहिए । विशेष यह है कि उसकी स्थिति जघन्य देशोन दो पल्योपम की और उत्कृष्ट तीन पल्योपम की होती है । भवादेश तक शेष पूर्ववत् । काल की अपेक्षा से जघन्य देशोन चार पल्योपम
और उत्कृष्ट देशोन पांच पल्योपम । यदि वह स्वयं जघन्य काल की स्थिति वाले नागकुमारों में उत्पन्न हुआ हो अथवा स्वयं उत्कृष्टकाल की स्थिति वाले नागकुमारों में उत्पन्न हुआ हो, तो उसके भी तीनों गमक, असुरकुमारों में उत्पन्न होने वाले तिर्यञ्चयोनिक के तीनों गमकों के समान कहने । विशेष यह है कि यहाँ नागकुमार की स्थिति और संवेध जानना । शेष सब वर्णन असुरकुमारों में उत्पन्न होने वाले तिर्यञ्चयोनिक के समान जानना ।
भगवन् ! यदि वे (नागकुमार) संख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञी पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिकों से आकर उत्पन्न होते हैं, तो क्या वे पर्याप्त संख्येय वर्षायुष्क संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चों से आकर उत्पन्न होते हैं या अपर्याप्त संख्येय वर्षायुष्क वाले से ? गौतम ! वे पर्याप्त संख्येय वर्षायुष्क संज्ञी पंचेन्द्रिय-तिर्यचों से आकर उत्पन्न होते हैं । भगवन् ! यदि पर्याप्त संख्येय वर्षायुष्क संज्ञी पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्च, जो नागकुमारों में उत्पन्न होने योग्य हो, तो वह कितने काल की स्थिति वाले नागकुमारों में उत्पन्न होता है ? गौतम ! वह जघन्य दस हजार वर्ष और उत्कृष्ट देशोन दो पल्योपम की स्थिति वाले नागकुमारों में उत्पन्न होता है; इत्यादि जिस प्रकार असुरकुमारों के उत्पन्न होने वाले संज्ञी पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्च की वक्तव्यता कही है, उसी प्रकार यहां नौ ही गमक्रों में कहनी चाहिए । परन्तु विशेष यह कि यहाँ नागकुमारों की स्थिति और संवेध जानना ।
भगवन् ! यदि वह (नागकुमार) मनुष्यों से आकर उत्पन्न होते हैं, तो वे संज्ञी मनुष्यों से आकर उत्पन्न होते हैं, या असंज्ञी मनुष्यों से ? गौतम ! संज्ञी मनुष्यों से आकर उत्पन्न होते हैं, इत्यादि असुरकुमारों में उत्पन्न होने योग्य मनुष्यों की वक्तव्यता का समान जानीए । यावत्-भगवन् ! असंख्यात वर्ष की आयु वाला संज्ञी मनुष्य, कितने काल की स्थिति वाले नागकुमारों में उत्पन्न होता है ? गौतम ! जघन्य दस हजार वर्ष और उत्कृष्ट देशोन दो पल्योपम की स्थिति वाले में । इस प्रकार असंख्यात वर्ष की आयु वाले तिर्यञ्चों के नागकुमारों में उत्पन्न होने सम्बन्धी आदि के तीन गमक जानने चाहिए । परन्तु पहले और दूसरे गमक में शरीर की अवगाहना जघन्य सातिरेक पांच सौ धनुष और उत्कृष्ट तीन गाऊ होती है । तीसरे गमक में अवगाहना जघन्य देशोन दो गाऊ और तीन गाऊ की होती है । शेष पूर्ववत् ।
यदि वह स्वयं (नागकुमार), जघन्य काल की स्थिति वाला हो, तो उसके तीनों गमकों में असुकुमारों में उत्पन्न होने योग्य असंख्यात वर्ष की आयुष्य वाले संज्ञी मनुष्य के समान समझिए । यदि वह (नागकुमार) स्वयं उत्कृष्ट काल की स्थिति वाला हो, तो उसके सम्बन्ध में भी तीनों गमकों में असुस्कुमारों में उत्पन्न होने योग्य उत्कृष्ट काल की स्थिति वाले असंख्यातवर्षीय संज्ञी मनुष्य के समान वक्तव्यता जाननी चाहिए । परन्तु विशेष यह है कि यहां नागकुमारों की स्थिति और संवेध जानना चाहिए । शेष पूर्ववत् ।