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________________ आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद भगवन् ! इन कतिसंचित, अकतिसंचित और अवक्तव्यसंचित नैरयिकों में से कौन किससे यावत् विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे थोड़े अवक्तव्यसंचित नैरयिक हैं, उनसे कतिसंचित नैरयिक संख्यातगुणे हैं और अकतिसंचित उनसे असंख्यातगुणे हैं । एकेन्द्रिय जीवों के सिवाय वैमानिकों तक का इसी प्रकार अल्पबहुत्व कहना । भगवन् ! कतिसंचित और अवक्तव्यसंचित सिद्धों में कौन किससे यावत् विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे थोड़े कतिसंचित सिद्ध होते हैं, उनसे अवक्तव्यसंचित सिद्ध संख्यातगुणे हैं । २०८ भगवन् ! नैरयिक षट्कसमर्जित हैं, नो- षट्कसमर्जित हैं, (एक) षट्क और नोषट्कसमर्जित हैं, अथवा अनेक षट्कसमर्जित हैं या अनेक षट्कसमर्जित- एक नो-षट्कसमर्जित हैं ? गौतम ! नैरयिक षट्कसमर्जित भी हैं, यावत् एक नोषट्कसमर्जित भी हैं । भगवन् ! ऐसा क्यों कहा जाता है ? गौतम ! जो नैरयिक छह की संख्या में प्रवेश करते हैं, वे नैरयिक 'षट्कसमर्जित' हैं । जो नैरयिक जघन्य एक, दो अथवा तीन और उत्कृष्ट पांच संख्या में प्रवेश करते हैं, वे नो-षट्कसमर्जित हैं । जो नैरयिक एक षटक् संख्या से और अन्य जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट पांच की संख्या में प्रवेश करते हैं, वे 'षट्क और नोषट्कसमर्जित' हैं । जो नैरयिक अनेक षट्क संख्या में प्रवेश करते हैं, वे नैरयिक अनेक षट्कमर्जित हैं । जो नैरयिक अनेक षट्क तथा जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट पांच संख्या में प्रवेश करते हैं, वे नैरयिक 'अनेक षट्क और एक नो-षट्कसमर्जित' हैं । इसलिए कहा गया है कि यावत् अनेक षट्क और एक नो- षट्कसमर्जित भी होते हैं । भगवन् ! पृथ्वीकायिक जीव षट्कसमर्जित हैं ? इत्यादि प्रश्न पूर्ववत् । गौतम ! पृथ्वीकायिक जीव न तो षट्कसमर्जित हैं, न नो-षट्कसमर्जित हैं और न एक षट्क और एक नो-षट्क से समर्जित हैं; किन्तु अनेक षट्कसमर्जित हैं तथा अनेक षट्क और एक नो-षट्क से समर्जित भी हैं । भगवन् ! किस कारण से ऐसा कहा जाता है ? गौतम ! जो पृथ्वीकायिक जीव अनेक षट्क से प्रवेश करते हैं, वे अनेक षट्कसमर्जित हैं तथा जो पृथ्वीकायिक अनेक ट्रक से तथा जघन्य एक, दो, तीन और उत्कृष्ट पांच संख्यात में प्रवेश करते हैं, वे अनेक षट्क और एक नो- षट्कसमर्जित कहलाते हैं । इसी प्रकार वनस्पतिकायिक तक समझना और न्द्रिय से लेकर वैमानिकों तक पूर्ववत् जानना । सिद्धों का कथन नैरयिकों के समान है । भगवन् ! षट्कसमर्जित, नो- षट्कसमर्जित, एक षट्क एक नो- षट्कसमर्जित अनेक षट्कसमर्जित तथा अनेक षट्क एक नो- षट्कसमर्जित नैरयिकों में कौन किन से यावत् विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे कम एक षट्कसमर्जित नैरयिक हैं, नो-षट्कसमर्जित नैरयिक उनसे संख्यातगुणे हैं, एक षट्क और नो- षट्कसमर्जित नैरयिक उनसे संख्यातगुणे हैं, अनेक षट्कसमर्जित नैरयिक उनसे असंख्यातगुणे हैं, और अनेक षट्क और एक नौ- षट्कसमर्जित नैरयिक उनसे संख्यातगुणे हैं । इसी प्रकार स्तनितकुमारों तक समझना । भगवन् ! अनेक षट्कमर्जित और अनेक षट्क तथा नो- षट्कसमर्जित पृथ्वीकायिकों में कौन किससे यावत् विशेषाधिक है ? गौतम ! सबसे अल्प अनेक षट्कसमर्जित पृथ्वीकायिक हैं । अनेक षट्क और नो- षट्क - समर्जित पृथ्वीकायिक उनसे संख्यातगुणे हैं । इस प्रकार वनस्पतिकायिकों तक (जानना) । वैमानिकों तक नैरयिकों के समान जानना । भगवन् ! इन पट्कसमर्जित, नो- षट्कसमर्जित, यावत् अनेक षट्क और एक नो
SR No.009782
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size18 MB
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