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भगवती-१०/-/५/४८९
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रत्नप्रभा । प्रत्येक के परिवार आदि का वर्णन कालेन्द्र के समान है । इसी प्रकार महाभीम (राक्षसेन्द्र) के विषय में भी जानना ।
भगवन् ! किन्नरेन्द्र की कितनी अग्रमहिषियाँ हैं ? आर्यो ! चार अग्रमहिषियाँ हैं, यथा-अवतंसा, केतुमती, रतिसेना और रतिप्रिया । प्रत्येक अग्रमहिषी के देवी-परिवार के लिये पूर्ववत् जानना चाहिए । इसी प्रकार किम्पुरुषेन्द्र के विषय में कहना चाहिए । भगवन् ! सत्पुरुषेन्द्र की कितनी अग्रमहिषियाँ हैं ? आर्यो ! चार अग्रमहिषियाँ हैं, यथा-रोहिणी, नवमिका, ही और पुष्पवती । इनके देवी-परिवार का वर्णन पूर्वोक्तरूप से जानना चाहिए । इसी प्रकार महापुरुषेन्द्र के विषय में भी समझ लेना चाहिए ।
भगवन् ! अतिकायेन्द्र की कितनी अग्रमहिषियाँ हैं ? आर्यो ! चार । यथा-भुजगा, भुजगवती, महाकच्छा और स्फुटा । प्रत्येक अग्रमहिषी के देवी-परिवार का वर्णन पूर्वोक्तरूप से जानना । इसी प्रकार महाकायेन्द्र के विषय में भी समझ लेना ।
भगवन् ! गीतरतीन्द्र की कितनी अग्रमहिपियाँ हैं ? आर्यो ! चार अग्रमहिषियाँ हैंसुघोषा, विमला, सुस्वरा और सरस्वती प्रत्येक अग्रमहिषी के देवी-परिवार का वर्णन पूर्ववत् । इसी प्रकार गीतयश-इन्द्र के विषय में भी जान लेना । इन सभी इन्द्रों का शेष वर्णन कालेन्द्र के समान । राजधानियों और सिंहासनों का नाम इन्द्रों के नाम के समान है।
भगवन् ! ज्योतिष्केन्द्र ज्योतिष्कराज चन्द्र की कितनी अग्रमहिषियाँ हैं ? आर्यो ! चार | चन्द्रप्रभा, ज्योत्स्नाभा, अर्चिमाली एवं प्रभंकरा । शेष समस्त वर्णन जीवाभिगमसूत्र में कहे अनुसार | सूर्येन्द्र की चार अग्रमहिषियाँ ये हैं-सूर्यप्रभा, आतपाभा, अर्चिमाली और प्रभंकरा । शेष पूर्ववत्; यावत् वे मैथुननिमित्तक भोग भोगने में समर्थ नहीं हैं ।
भगवन् ! अंगार (मंगल) नामक महाग्रह की कितनी अग्रमहिषियाँ हैं ? आर्यो ! चार । विजया, वैजयन्ती, जयन्ती और अपराजिता । इनमें से प्रत्येक अग्रमहिषी के देवी-परिवार का वर्णन चन्द्रमा के देवी-परिवार के समान । परन्तु इतना विशेष है कि इसके विमान का नाम अंगारावतंसक और सिंहासन का नाम अंगारक है, इत्यादि शेष समग्रवर्णन पूर्ववत् जानना : इसी प्रकार व्यालक नामक ग्रह के विषय में भी जानना । इसी प्रकार ८८ महाग्रहों के विषय में भावकेतु ग्रह तक जानना । परन्तु विशेष यह है कि अवतंसकों और सिंहासनों का नाम इन्द्र के नाम के अनुरूप है । शेष पूर्ववत् ।।
भगवन् ! देवेन्द्र देवराज शक्र की कितनी अग्रमहिषियाँ हैं ? आर्यो ! आठ अग्रमहिषियाँ हैं, पद्मा, शिवा, श्रेया, अंजू, अमला, अप्सरा, नवमिका और रोहिणी । इनमें से प्रत्येक अग्रमहिषी का सोलह-सोलह हजार देवियों का परिवार कहा गया है । प्रत्येक देवी सोलहसोलह हजार देवियों के परिवार की विकुर्वणा कर सकती है । इस प्रकार पूर्वापर सब मिला कर एक लाख अट्ठाईस हजार देवियों का परिवार होता है । यह एक त्रुटिक (देवियों का वर्ग) कहलाता है । भगवन् ! क्या देवेन्द्र देवराज शक्र, सौधर्मकल्प में, सौधर्मावतंसक विमान में, सुधर्मासभा में, शक्र नामक सिंहासन पर बैठ कर अपने त्रुटिक के साथ भोग भोगने में समर्थ है ? आर्यो ! इसका समग्र वर्णन चमरेन्द्र के समान जानना चाहिए । विशेष इतना है कि इसके परिवार का कथन 'मोका' उद्देशक के अनुसार जान लेना चाहिए ।
भगवन् ! देवेन्द्र देवराज शक्र के लोकपाल सोममहाराजा की कितनी अग्रमहिषियाँ हैं ? आर्यो ! चार । रोहिणी, मदना, चित्रा और सोमा । प्रत्येक अग्रमहिषी के देवी-परिवार का