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________________ भगवती-८/-/८/४२० २२५ कर्म बाँधने वाले जीव के कितने परीषह हैं ? गौतम ! बावीस । सप्तविधबन्धक के अनुसार अष्टविधबन्धक में भी कहना ।। भगवन् ! छह प्रकार के कर्म बांधनेवाले सराग छद्मस्थ जीव के कितने परीषह कहे गए हैं ? गौतम ! चौदह । किन्तु वह एक साथ बारह परीषह वेदता है । जिस समय शीतपरीषह वेदता है, उस समय उष्णपरीषह का वेदन नहीं करता और जिस समय उष्णपरीषह का वेदन करता है, उस समय शीतपरीषह का वेदन नहीं करता । जिस समय चर्यापरीषह का वेदन करता है, उस समय शय्यापरीषह का वेदन नहीं करता और जिस समय शय्यापरीषह का वेदन करता है, उस समय चर्यापरीषह का वेदन नहीं करता । भगवन् ! एकविधबन्धक वीतरागछद्मस्थ जीव के कितने परीषह हैं ? गौतम ! षड्विधबन्धक के समान इसके भी चौदह परीषह हैं, किन्तु वह एक साथ बारह परीषहों का वेदन करता है । भगवन् ! एकविधबन्धक सयोगीभवस्थकेवली के कितने परीषह हैं ? गौतम ! ग्यारह । किन्तु वह एक साथ नौ परीषहों का वेदन करता है । शेष षड्विधबन्धक के समान । ___ भगवन् ! अबन्धक अयोगीभवस्थकेवली के कितने परीषह हैं ? गौतम ! ग्यारह । किन्तु वह एक साथ नौ परीषहों का वेदन करता है । क्योंकि शीत और उष्णपरीषह का तथा चर्या और शय्यापरीषह का वेदन एक साथ नहीं करता है। [४२१] भगवन् ! जम्बूद्वीप में क्या दो सूर्य, उदय और अस्त के मुहूर्त में दूर होते हुए भी निकट दिखाई देते हैं, मध्याह्न के मुहूर्त में निकट में होते हुए दूर दिखाई देते हैं । हाँ, गौतम ! जम्बूद्वीप में दो सूर्य, उदय के समय दूर होते हुए भी निकट दिखाई देते हैं, इत्यादि । भगवन् ! जम्बूद्वीप में दो सूर्य, उदय के समय में, मध्याह्न के समय में और अस्त होने के समय में क्या सभी स्थानों पर ऊँचाई में सम हैं ? हाँ, गौतम ! जम्बूद्वीप में रहे हुए दो सूर्य...यावत् सर्वत्र ऊँचाई में सम हैं । भगवन् ! यदि जम्बूद्वीप में दो सूर्य उदय के समय, मध्याह्न के समय और अस्त के समय सभी स्थानों पर ऊँचाई में समान हैं तो ऐसा क्यों कहते हैं कि जम्बूद्वीप में दो सूर्य उदय के समय दूर होते हुए भी निकट दिखाई देते हैं, इत्यादि ? गौतम ! लेश्या के प्रतिघात से सूर्य उदय और अस्त के समय, दूर होते हुए भी निकट दिखाई देते हैं, मध्याह्न में लेश्या के अभिताप से पास होते हुए भी दूर दिखाई देते हैं और इस कारण हे गौतम ! मैं कहता हूँ कि दो सूर्य उदय के समय दूर होते हुए भी पास में दिखाई देते हैं, इत्यादि । भगवन् ! जम्बूद्वीप में दो सूर्य, क्या अतीत क्षेत्र की ओर जाते हैं, वर्तमान क्षेत्र की ओर जाते हैं, अथवा अनागत क्षेत्र की ओर जाते । गौतम ! वे अतीत और अनागत क्षेत्र की ओर नहीं जाते, वर्तमान क्षेत्र की ओर जाते हैं । भगवन् ! जम्बूद्वीप में दो सूर्य, क्या अतीत क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं, वर्तमान क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं या अनागत क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं । गौतम ! वे अतीत और अनागत क्षेत्र को प्रकाशित नहीं करते, वर्तमान क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं । भगवन् ! जम्बूद्वीप में दो सूर्य स्पृष्ट क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं, अथवा अस्पृष्ट क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं ? गौतम ! वे स्पृष्ट क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं, अस्पृष्ट क्षेत्र को प्रकाशित नहीं करते; यावत् नियमतः छहों दिशाओं को प्रकाशित करते हैं । भगवन् ! 315
SR No.009781
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages290
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size11 MB
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