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________________ भगवती-८/-/२/३९१ २०५ अज्ञानी और श्रुत- अज्ञानी । इसी प्रकार त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय जीवों को भी जानना । भगवन् ! पंचेन्द्रितिर्यञ्चयोनिक जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी ? गौतम ! वे ज्ञानी भी हैं और अज्ञानी भी हैं । जो ज्ञानी हैं, उनमें से कितने ही दो ज्ञान वाले हैं और कई तीन ज्ञान I वाले हैं । इस प्रकार तीन ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से होते हैं । औधिक जीवों के समान मनुष्यों में पांच ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से होते हैं । वाणव्यन्तर देवों का कथन नैरयिकों के समान जानना । ज्योतिष्क और वैमानिक देवों में तीन ज्ञान, अज्ञान नियमतः होते हैं । भगवन् ! सिद्ध भगवान् ज्ञानी हैं या अज्ञानी ? गौतम ! सिद्ध भगवान् ज्ञानी हैं, अज्ञानी नहीं । वे नियमतः केवलज्ञानवाले हैं । [३९२] भगवन् ! निरयगतिक जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी ? गौतम ! वे ज्ञानी भी हैं। और अज्ञानी भी । जो ज्ञानी हैं, वे नियमतः तीन ज्ञानवाले हैं और जो अज्ञानी हैं, वे भजना से तीन अज्ञानवाले हैं । भगवन् ! तिर्यञ्चगतिक जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी । गौतम ! उनमें नियमतः दो ज्ञान या दो अज्ञान होते हैं । भगवन् ! मनुष्यगतिक जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी हैं ? गौतम ! उनके भजना से तीन ज्ञान होते हैं, और नियमतः दो अज्ञान होते हैं । देवगतिक जीवों में ज्ञान और अज्ञान का कथन निरयगतिक जीवों के समान समझना । भगवन् ! सिद्धगतिक जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी ? गौतम ! सिद्ध समान जानना । भगवन् ! इन्द्रियवाले जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी ? गौतम ! उनके चार ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से होते हैं । भगवन् ! एक इन्द्रियवाले जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी ? गौतम ! पृथ्वीकायिक जीवों की तरह कहना । विकलेन्द्रियो में दो ज्ञान या दो अज्ञान नियमतः होते हैं । पांच इन्द्रियोंवाले जीवों को सेन्द्रिय जीवों के जानना । भगवन् ! अनिन्द्रिय जीव ज्ञानी अथवा अज्ञानी ? गौतम ! सिद्धों की तरह जानना । भगवन् ! सकायिक जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी ? गौतम ! सकायिक जीवों के पांच ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से होते हैं । पृथ्वीकायिक से वनस्पतिकायिक जीव तक ज्ञानी नहीं, अज्ञानी होते हैं । वे नियमतः दो अज्ञान वाले होते हैं । त्रसकायिक जीवों का कथन सकायिक जीवों के समान समझना चाहिए । भगवन् ! अकायिक जीव ज्ञानी हैं अथवा अज्ञानी हैं ? गौतम ! इनके विषय में सिद्धों की तरह जानना चाहिए । भगवन् ! सूक्ष्म जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी हैं ? गौतम इनके विषय में पृथ्वीकायिक जीवों के समान कथन करना चाहिए । भगवन् ! बादर जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी हैं ? गौतम ! इनके विषय में सकायिक जीवों के समान कहना चाहिए । भगवन् ! नोसूक्ष्म-नोबादर जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी ? गौतम ! इनका कथन सिद्धों की तरह समझना चाहिए । भगवन् ! पर्याप्तक जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी हैं ? गौतम ! सकायिक जीवों के समान जानना | भगवन् ! पर्याप्तक नैरयिक जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी ? गौतम ! इनमें नियमतः तीन ज्ञान या तीन अज्ञान होते हैं । पर्याप्त नैरयिक जीवों की तरह पर्याप्त स्तनितकुमारों का कथन करना । ( पर्याप्त) पृथ्वीकायिक जीवों का कथन एकेन्द्रिय जीवों की तरह करना । इसी प्रकार चतुरिन्द्रिय तक समझना । भगवन् ! पर्याप्त पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिक जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी हैं ? गौतम ! उनमें तीन ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से होते हैं । पर्याप्त मनुष्यों सम्बन्धी कथन सकायिक जीवों की तरह करना । पर्याप्त वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिकों का
SR No.009781
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages290
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size11 MB
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