________________
भगवती-७/-/२/३४०
१७१
दो प्रकार का कहा गया है । मूलगुणप्रत्याख्यान और उत्तरगुणप्रत्याख्यान ।
भगवन् ! मूलगुणप्रत्याख्यान कितने प्रकार का कहा गया है ? गौतम ! दो प्रकार का सर्वमूलगुणप्रत्याख्यान और देशमूलगुणप्रत्याख्यान । भगवन् ! सर्वमूलगुणप्रत्याख्यान कितने प्रकार का है ? गौतम ! पांच प्रकार का है । सर्व-प्राणातिपात से विरमण, सर्व-मृषावाद से विरमण, सर्व-अदत्तादान से विरमण, सर्व-मैथुन से विरमण और सर्व-परिग्रह से विरमण । भगवन् ! देशमूलगुणप्रत्याख्यान कितने प्रकार का कहा गया है ? गौतम ! पांच प्रकार का कहा गया है । स्थूल-प्राणातिपात से विरमण यावत् स्थूल-परिग्रह से विरमण |
भगवन् ! उत्तरगुणप्रत्याख्यान कितने प्रकार का है ? गौतम ! दो प्रकार का सर्वउत्तरगुणप्रत्याख्यान और देश-उत्तरगुणप्रत्याख्यान । भगवन् ! सर्व-उत्तरगुणप्रत्याख्यान कितने प्रकार का है ? गौतम ! दस प्रकार का है-यथा
[३४१] अनागत, अतिक्रान्त, कोटिसहित, नियंत्रित, साकार, अनाकार, परिमाणकृत, निरवशेष, संकेत और अद्धाप्रत्याख्यान ।
[३४२] देश-उत्तरगुणप्रत्याख्यान कितने प्रकार का है ? गौतम ! सात प्रकार का दिग्व्रत, उपभोग-परिभोगपरिणाम, अनर्थदण्डविरमण, सामायिक, देशावकाशिक, पौषधोपवास, अतिथि-संविभाग तथा अपश्चिम मारणान्तिक-संलेखना-जोषणा-आराधना ।।
[३४३] भगवन् ! क्या जीव मूलगुणप्रत्याख्यानी हैं, उत्तरगुणप्रत्याख्यानी हैं अथवा अप्रत्याख्यानी हैं ? गौतम ! जीव (समुच्चयरूप में) मूलगुणप्रत्याख्यानी भी हैं, उत्तरगुणप्रत्याख्यानी भी हैं और अप्रत्याख्यानी भी हैं ।
_ नैरयिकजीव मूलगुणप्रत्याख्यानी हैं, उत्तरगुणप्रत्याख्यानी हैं या अप्रत्याख्यानी ? गौतम ! नैरयिक जीव न तो मूलगुणप्रत्याख्यानी हैं और न उत्तरगुणप्रत्याख्यानी, किन्तु अप्रत्याख्यानी हैं । इसी प्रकार चतुरिन्द्रिय जीवों पर्यन्त कहना | पंचेन्द्रियतिर्यञ्चों और मनुष्यों के विषय में जीवों की तरह कहना । वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक देवों के सम्बन्ध में नैरयिक जीवों की तरह कहना । ये सब अप्रत्याख्यानी हैं ।
भगवन् ! मूलगुणप्रत्याख्यानी, उत्तरगुणप्रत्याख्यानी और अप्रत्याख्यानी, इन जीवों में कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे थोड़े जीव मूलगुणप्रत्याख्यानी हैं, (उनसे) उत्तरगुणप्रत्याख्यानी असंख्येयगुणा और (उनसे) अप्रत्याख्यानी अनन्तगुणा हैं । भगवन् ! इन मूलगुणप्रत्याख्यानी आदि जीवों में पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिक जीव कौन किनसे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं ? गौतम ! मूलगुणप्रत्याख्यानी पंचेन्द्रियतिर्यञ्च जीव सबसे थोड़े उनसे उत्तरगुणप्रत्याख्यानी असंख्यगुणा और उनसे अप्रत्याख्यानी असंख्यगुणा हैं | भगवन् ! इन मूलगुणप्रत्याख्यानी आदि जीवों में मनुष्य कौन किनसे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं ? गौतम ! मूलगुणप्रत्याख्यानी मनुष्य सबसे थोड़े, उनसे उत्तरगुणप्रत्याख्यानी संख्यातगुणा और उनसे अप्रत्याख्यानी मनुष्य असंख्यातगुणा हैं ।
भगवन् ! क्या जीव सर्वमूलगुणप्रत्याख्यानी हैं, देशमूलगुणप्रत्याख्यानी हैं या अप्रत्याख्यानी हैं ? गौतम ! जीव (समुच्चय में) सर्वमूलगुणप्रत्याख्यानी भी हैं, देशमूलगुणप्रत्याख्यानी भी हैं और अप्रत्याख्यानी भी हैं । भगवन् ! नैरयिक जीवों के विषय में भी यही प्रश्न है । गौतम ! नैरयिक जीव न तो सर्वमूलगुणप्रत्याख्यानी हैं और न ही