________________
१३६
आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद स्पर्श करने के समान त्रिप्रदेशीस्कन्ध द्वारा चतुष्प्रदेशी स्कन्ध, यावत् अनन्तप्रदेशी स्कन्ध को स्पर्श करने के सम्बन्ध में कहना चाहिए । जिस प्रकार त्रिप्रदेशीस्कन्ध के द्वारा स्पर्श के स्कन्ध में कहा गया है, वैसे ही यावत् अनन्तप्रदेशीस्कन्ध द्वारा परमाणुपुद्गल से लेकर अनन्तप्रदेशीस्कन्ध तक को स्पर्श करने के सम्बन्ध में कहना चाहिए ।
[२५७] भगवन् ! परमाणुपुद्गल काल की अपेक्षा कब तक रहता है ? गौतम ! परमाणुपुद्गल (परमाणुपुद्गल के रूप में) जघन्य एक समय तक रहता है, और उत्कृष्ट असंख्यकाल तक रहता है । इसी प्रकार यावत् अनन्तप्रदेशीस्कन्ध तक कहना चाहिए ।
भगवन् ! एक आकाश-प्रदेशावगाढ़ पुद्गल उस (स्व) स्थान में या अन्य स्थान में काल की अपेक्षा से कब तक सकम्प रहता है ? गौतम ! (एकप्रदेशावगाढ़ पुद्गल) जघन्य एक समय तक और उत्कृष्ट आवलिका के असंख्येय भाग तक सकम्प रहता है । इसी तरह यावत् असंख्येय प्रदेशावगाढ़ तक कहना चाहिए ।
भगवन् ! एक आकाशप्रदेश में अवगाढ़ पुद्गल काल की अपेक्षा से कब तक निष्कम्प (निरेज) रहता है ? गौतम ! (एक-प्रदेशावगाढ़ पुद्गल) जघन्य एक समय तक और उत्कृष्ट असंख्येय काल तक निष्कम्प रहता है । इसी प्रकार यावत् असंख्येय प्रदेशावगाढ़ तक कहना ।
भगवन् ! एकगुण काला पुद्गल काल की अपेक्षा से कब तक (एकगुण काला) रहता है ? गौतम ! जघन्यतः एक समय तक और उत्कृष्टतः असंख्येयकाल तक (एकमुण काला पुद्गल रहता है ।) इसी प्रकार यावत् अनन्तगुणकाले पुद्गल का कथन करना चाहिए ।
इसी प्रकार (एक गुण) वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श वाले पुद्गल के विषय में यावत् अनन्तगुण रूक्ष पुद्गल तक पूर्वोक्त प्रकार से काल की अपेक्षा से कथन करना चाहिए । इसी प्रकार सूक्ष्म-परिणत पुद्गल और इसी प्रकार बादर-परिणत पुद्गल के सम्बन्ध में कहना ।
भगवन् ! शब्दपरिणत पुद्गल काल की अपेक्षा कब तक (शब्दपरिणत) रहता है ? गौतम ! जघन्यतः एक समय तक और उत्कृष्टतः आवलिका के असंख्येय भाग तक । एकगुणकाले पुद्गल के समान अशब्दपरिणत पुद्गल कहना ।
भगवन् ! परमाणु-पुद्गल का काल की अपेक्षा से कितना लम्बा अन्तर होता है ? गौतम ! जघन्य एक समय और उत्कृष्ट असंख्येय काल का अन्तर होता है ।
भगवन् ! द्विप्रदेशिक स्कन्ध का काल की अपेक्षा से कितना लम्बा अन्तर होता है ? गौतम ! जघन्य एक समय और उत्कृष्टतः अनन्तकाल का अन्तर होता है ? इसी तरह (त्रिप्रदेशिकस्कन्ध से लेकर) यावत् अनन्तप्रदेशिकस्कन्ध तक कहना चाहिए ।
_भगवन् ! एकप्रदेशावगाढ़ सकम्प पुद्गल का अन्तर कितने काल का होता है ? हे गौतम ! जघन्यतः एक समय का, और उत्कृष्टतः असंख्येयकाल का अन्तर होता है । इसी तरह यावत् असंख्यप्रदेशावगाढ़ तक का अन्तर कहना चाहिए ।
भगवन् ! एकप्रदेशावगाढ़ निष्कम्प पुद्गल का अन्तर कालतः कितने काल का होता है ? गौतम ! जघन्यतः एक समय का और उत्कृष्टतः आवलिका के असंख्येय भाग का अन्तर होता है । इसी तरह यावत् असंख्येयप्रदेशावगाढ तक कहना चाहिए ।
वर्ण-गन्ध-रस-स्पर्शगत, सूक्ष्म-परिणत एवं बादरपरिणत पुद्गलों का जो संस्थितिकाल