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________________ भगवती-५/-/७/२५५ १३५ नहीं है, अमध्य नहीं है, और अप्रदेश नहीं है । द्विप्रदेशी स्कन्ध के समान समसंख्या वाले स्कन्धों के विषय में कहना चाहिए । तथा विषमसंख्या वाले स्कन्धों के विषय में त्रिप्रदेशी स्कन्ध के अनुसार कहना चाहिए । __ भगवन् ! क्या संख्यात-प्रदेशी स्कन्ध, सार्ध, समध्य और सप्रदेश है, अथवा अनर्ध, अमध्य और अप्रदेश है ? गौतम ! वह कदाचित् सार्ध होता है, अमध्य होता है, और सप्रदेश होता है, और कदाचित् अनर्ध होता है, समध्य होता है और सप्रदेश होता है । जिस प्रकार संख्यातप्रदेशी स्कन्ध के समान असंख्यातप्रदेशी और अनन्तप्रदेशी स्कन्ध के विषय में भी जानना। २५६] भगवन ! परमाणपुदगल, परमाणपदगल को स्पर्श करता हआ १-क्या एकदेश से एकदेश को स्पर्श करता है ?, २-एकदेश से बहुत देशो को स्पर्श करता है ?, ३. अथवा एकदेश से सबको स्पर्श करता है ?, ४. अथवा बहुत देशों से एकदेश को स्पर्श करता है ?, ५. या बहुत देशों से बहुत देशों को स्पर्श करता है ?, ६. अथवा बहुत देशों से सभी को स्पर्श करता है ?, ७. अथवा सर्व से एकदेश को स्पर्श करता है ?, ८. या सर्व से बहुत देशों को स्पर्श करता है ?, अथवा ९. सर्व से सर्व को स्पर्श करता है ? गौतम ! (परमाणुपुद्गल परमाणुपुद्गल को) १. एकदेश से एकदेश को स्पर्श नहीं करता, २. एकदेश से बहुत देशों को स्पर्श नहीं करता, ३. एकदेश से सर्व को स्पर्श नहीं करता, ४. बहुत देशों से एकदेश को स्पर्श नहीं करता, ५. बहुत देशों से बहुत देशों को स्पर्श नहीं करता, ६. बहुत देशों से सभी को स्पर्श नहीं करता, ७. न सर्व से एकदेश को स्पर्श करता है, ८. न सर्व से बहुत देशों को स्पर्श करता है, अपितु ९. सर्व से सर्व को स्पर्श करता है । इसी प्रकार द्विप्रदेशी स्कन्ध को स्पर्श करता हुआ परमाणु-पुद्गल सातवें अथवा नौवें, इन दो विकल्पों से स्पर्श करता है । त्रिप्रदेशीस्कन्ध को स्पर्श करता हुआ परमाणुपुद्गल (उपर्युक्त नौ विकल्पों में से) अन्तिम तीन विकल्पों से स्पर्श करता है । जिस प्रकार एक परमाणुपुद्गल द्वारा त्रिप्रदेशीस्कन्ध के स्पर्श करने का आलापक कहा गया है, उसी प्रकार एक परमाणुपुद्गल से चतुष्प्रदेशीस्कन्ध, पंचप्रदेशी स्कन्ध यावत् संख्यातप्रदेशी स्कन्ध, असंख्यातप्रदेशीस्कन्ध एवं अनन्तप्रदेशीस्कन्ध तक को स्पर्श करने का आलापक कहना । भगवन् द्विप्रदेशी स्कन्ध परमाणुपुद्गल को स्पर्श करता हुआ किस प्रकार स्पर्श करता है ? हे गौतम ! (द्विप्रदेशीस्कन्ध परमाणुपुद्गल को) तीसरे और नौवें विकल्प से स्पर्श करता है । द्विप्रदेशीस्कन्ध, द्विप्रदेशीस्कन्ध को स्पर्श करता हुआ पहले, तीसरे, सातवें और नौवें विकल्प से स्पर्श करता है । द्विप्रदेशीस्कन्ध, त्रिप्रदेशीस्कन्ध को स्पर्श करता हुआ आदिम तीन तथा अन्तिम तीन विकल्पों से स्पर्श करता है । इसमें बीच के तीन विकल्पों को छोड़ देना। द्विप्रदेशीस्कन्ध द्वारा त्रिप्रदेशीस्कन्ध के स्पर्श के आलापक समान है, द्विप्रदेशीस्कन्ध द्वारा चतुष्प्रदेशीस्कन्ध, यावत् अनन्तप्रदेशी स्कन्ध के स्पर्श का आलापक कहना। भगवन् ! अब त्रिप्रदेशीस्कन्ध परमाणुपुद्गल को तीसरे, छठे और नौवें विकल्प से; स्पर्श करता है । त्रिप्रदेशी स्कन्ध, द्विप्रदेशी स्कन्ध को स्पर्श करता हुआ पहले, तीसरे, चौथे, छठे, सातवें और नौवें विकल्प से स्पर्श करता है । त्रिप्रदेशीस्कन्ध को स्पर्श करता हुआ त्रिप्रदेशीस्कन्ध पूर्वोक्त सभी स्थानों से स्पर्श करता है । त्रिप्रदेशीस्कन्ध द्वारा त्रिप्रदेशीस्कन्ध को
SR No.009781
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages290
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size11 MB
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