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आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद
पुरुष काष्ठ के गोले के समान कुछ अधिक कठोर हृदय होता है । एक पुरुष मिट्टी के गोले के समान कुछ और अधिक कठोर हृदय होता है ।
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गोले चार प्रकार के होते हैं । यथा - लोहे का गोला, जस्ते का गोला, तांबे का गोला और शीशे का गोला । इसी प्रकार पुरुष चार प्रकार के हैं । यथा - लोहे के गोले के समान एक पुरुष के कर्म भारी होते हैं जस्ते के गोले के समान एक पुरुष के कर्म कुछ अधिक भारी होते है । तांबे के गोले के समान एक पुरुष के कर्म और अधिक भारी होते है । सीसे के गोले के समान एक पुरुष के कर्म अत्यधिक भारी होते है ।
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गोले चार प्रकार के होते हैं । यथा-चांदी का गोला, सोने का गोला, रत्नों का गोला और हीरों का गोला । उसी प्रकार पुरुष चार प्रकार के हैं । यथा-चांदी के गोले के समान एक पुरुष ज्ञानादि श्रेष्ठ गुण युक्त होता हैं । सोने के गोले के समान एक पुरुष कुछ अधिक श्रेष्ठ ज्ञानादि गुण युक्त होता हैं । रत्नों के गोले के समान एक पुरुष और अधिक श्रेष्ठ ज्ञानादि गुण युक्त होता है । हीरों के गोले के समान एक पुरुष अत्यधिक श्रेष्ठ युक्त होता है ।
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पत्ते चार प्रकार के होते हैं । तलवार की धार के समान तीक्ष्ण धार वाले पत्ते । करवत की धार के समान तीक्ष्ण दाँतवाले पत्ते । उस्तरे की धार के समान तीक्ष्ण धारवाले पत्ते । कदंबचीरिका की धार के समान तीक्ष्ण धारखाले पत्ते । इसी प्रकार पुरुष चार प्रकार के हैं । यथा- एक पुरुष तलवार की धार के समान तीक्ष्ण वैराग्यमय विचारधारा से मोहपाश का शीघ्र छेदन करता है । एक पुरुष करवत की धार के समान वैराग्यमय विचारों से मोहपाश को शनैः शनैः काटता है । एक पुरुष उस्तरे की धार के समान वैराग्यमय विचारधारा से मोहपाश का विलम्ब से छेदन करता हैं । एक पुरुष कदंबचीरिका की धार के समान वैराग्यमय विचारों से मोहपाश का अतिविलम्ब से विच्छेद करता है ।
कट चार प्रकार के हैं । घास की चटाई बाँस की सलियों की चटाई, चर्म की चटाई और कंवल की चटाई इसी प्रकार पुरुष चार प्रकार के हैं । यथा घास की चटाई के समान एक पुरुष अल्प रागवाला होता है । बांस की चटाई के समान एक पुरुष विशेष राग भाववाला होता हैं । चमड़े की चटाई के समान एक पुरुष विशेषतर राग भाववाला होता हैं । कंवल की चटाई के समान एक पुरुष विशेषतम राग भाववाला होता हैं ।
[३७७] चतुष्पद चार प्रकार के हैं । यथा- एक खुरवाले, दो खुवाले, कठोर चर्ममय गोल पैर वाले, तीक्ष्ण नखयुक्त पैर वाले ।
पक्षी चार प्रकार के होते हैं । चमड़े
की पांखोंवाले, रुंएवाली पांखोंवाले, सिमटी हुई
पांखवाले, फैली हुई पांखों वाले ।
क्षुद्र प्राणी चार प्रकार के होते हैं । यथा - दो इन्द्रियोंवाले, तीन इन्द्रियोंवाले, चार इन्द्रियोंवाले और संमूर्छिम पंचेन्द्रिय तिर्यंच ।
[३७८] पक्षी चार प्रकार के हैं । यथा- एक पक्षी घोंसले से बाहर निकलता हैं किन्तु बाहर फिरने व उड़ने में समर्थ नहीं हैं । एक पक्षी फिरने में समर्थ हैं किन्तु घोंसले से बाहर नहीं निकलता हैं । एक पक्षी घोंसले से बाहर भी निकलता है और फिरने में भी समर्थ है । एक पक्षी न घोंसले से बाहर निकलता है और न फिरने में समर्थ होता है ।
इसी प्रकार भिक्षु (श्रमण ) भी चार प्रकार के है । यथा- एक श्रमण भिक्षार्थ उपाश्रय