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आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद
(प्रारम्भिक जीवन में धनी हैं) किन्तु दीन भी है ( अन्तिम जीवन में निर्धन हो जाता है) एक पुरुष अदीन है (प्रारम्भिक जीवन में भी धनी है) और अदीन हैं ( अन्तिम जीवन में भी धनी ही रहता है)
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पुरुष वर्ग चार प्रकार का हैं । एकपुरुष दीन है ( शरीर से कृश है) और दीन परिणतिवाला है (कायर है ) एकपुरुष दीन है ( शरीर से कृश है) किन्तु अदीन परिणतिवाला है ( शूरवीर है) एक पुरुष अदीन है ( हृष्ट-पुष्ट है ) किन्तु दीन परिणतिवाला है (कायर है) एक पुरुष अदीन भी हैं ( हृष्ट-पृष्ट भी है) और अदीन परिणति वाला भी हैं (शूरवीर भी है)
पुरुष वर्ग चार प्रकार का हैं । एकपुरुष दीन है ( शरीर से कृश है) और दीन रूप भी है ( मलिन वस्त्र वाला है) एक पुरुष दीन है ( शरीर से कृश है) किन्तु अदीन रूप है (वस्त्र आदिसे सुसज्जित हैं) एक पुरुष अदीन हैं (शरीर से हृष्ट-पुष्ट है ) किन्तु दीन रूप है ( मलिन वस्त्र' वाला है) एक पुरुष अदीन है (शरीर से हृष्ट-पुष्ट है) और अदीन रूप भी है (वस्त्र आदि से सुसज्जित है) इसी प्रकार दीनमन, दीनसंकल्प, दीनप्रज्ञा, दीन दृष्टि, दीनशीलाचार, दीनव्यवहार, दीनपराक्रम, दीनवृत्ति, दीन जाति, दीनभासी, दीनावभासी, दीनसेवी, और दीनपरिवारी के चारचार भंग जानें ।
[२९४] पुरुष वर्ग चार प्रकार का हैं । एक पुरुष आर्य है ( क्षेत्र से आर्य है) और आर्य हैं ( आचरण से भी आर्य हैं), एक पुरुष आर्य है (क्षेत्र से आर्य है) किन्तु अनार्य भी है ( पापाचरण से अनार्य है), एक पुरुष अनार्य है ( क्षेत्र से अनार्य है) किन्तु आर्य भी है। ( आचरण से आर्य है), एक पुरुष अनार्य है ( क्षेत्र से अनार्य है) और अनार्य है (आचरण से भी अनार्य है) इसीप्रकार आर्यपरिणति, आर्यरूप, आर्यमन, आर्यसंकल्प, आर्यप्रज्ञा, आर्य दृष्टि, आर्यशीलाचार, आर्यव्यवहार, आर्यपराक्रम, आर्य वृत्ति, आर्यजाति, आर्यभाषी, आर्यावभासी, आर्यसेवी, आर्यपर्याय आर्यपरिवार और आर्यभाववाले पुरुष के चार-चार भंग जाने ।
[२९५] वृषभ चार प्रकार के हैं । जातिसंपन्न, कुलसंपन्न, बलसंपन्न और रूपसंपन्न हैं । पुरुषवर्ग भी चार प्रकार का है । जातिसंपन्न - यावत् रूपसंपन्न । वृषभ चार प्रकार के हैं । १. एक जातिसंपन्न है किन्तु कुलसंपन्न नहीं हैं । २. एक कुलसंपन्न है किन्तु जातिसंपन्न नहीं हैं । ३. एक जाति संपन्न भी है और कुलसंपन्न भी हैं । ४. एक जातिसंपन्न भी नहीं हैं और कुल संपन्न भी नहीं है । इसी प्रकार पुरुष वर्ग के भी चार भंग जाने ।
वृषभ चार प्रकार के हैं । वे इस प्रकार हैं- एक जातिसम्पन्न हैं किन्तु बल संपन्न नहीं, एक बलसंपन्न है किन्तु जातिसम्पन्न नहीं हैं । एक जातिसम्पन्न भी है और बलसम्पन्न भी हैं । एक जातिसम्पन्न भी नहीं हैं और बलसम्पन्न भी नहीं हैं । इसी प्रकार पुरुष वर्ग के भी चार भांगे जाने ।
वृषभ चार प्रकार के हैं । एक जातिसम्पन्न है किन्तु रूपसम्पन्न नहीं हैं । एक रूपसम्पन्न हैं किन्तु जातिसम्पन्न नहीं है । एक जातिसम्पन्न भी है और रूपसम्पन्न भी है । एक जातिसम्पन्न भी नहीं है और रूपसम्पन्न भी नहीं है । इसी प्रकार पुरुष वर्ग के चार भेद जाने । कुल सम्पन्न और बल सम्पन्न वृषभ केचार भांगे हैं । इसी प्रकार पुरुष वर्ग के भी चार