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आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद
[९०] जम्बूद्वीप में दो चन्द्रमा प्रकाशित होते थे, होते हैं और होते रहेंगे । दो सूर्य तपते थे, तपते हैं और तपते रहेंगे । दो कृत्तिका, दो रोहिणी, दो मृगशिर, दो आर्द्रा इस प्रकार निम्न गाथाओं के अनुसार सब दो दा जान लेने चाहिए ।
[११] दो कृत्तिका, दो रोहिणी, दो मृगशिर, दो आर्द्रा, दो पुनर्वसु, दो पुष्य, दो अश्लेषी, दो मघा, दो पूर्वाफाल्गुनी, दो उत्तराफाल्गुनी ।
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[१२] दो हस्त, दो चित्रा, दो स्वाती, दो विशाखा, दो अनुराधा, दो ज्येष्ठा, दो मूल, दो पूर्वाषाढा, दो उत्तरालाढा, दो अभिजित्,
[१३] दो श्रवण, दो धनिष्ठा, दो शतभिशा, दो पूर्वा भाद्रापदा, दो उत्तरा भाद्रपदा, दो रेवती, दो अश्विनी, और दो भरणी ।
[९४] अट्ठाइस नक्षत्रों के देवता १ दो अग्नि, २ दो प्रजापति, ३ दो सोम, ४ दो रुद्र, ५ दो अदिति, ६ दो बृहस्पति, ७ दो सर्प, ८ दो पितृ, ९ दो भग, १० दो अर्यमन्, ११ दो सविता, १२ दो त्वष्टा, १३ दो वायु, १४ इन्द्राग्नि, १५ दो मित्र, १६ दो इन्द्र, १७ दो निर्ऋति, १८ दो आप, १९ दो विश्व, २० दो ब्रह्मा, २१ दो विष्णु, २२ दो वसु, २३. दो वरुण, २४ दो अज, २५ दो विवृद्धि, २६ दो पूषन्, २७ दो अश्विन्, २८ दो यम. अट्ठासी ग्रह १. दो अंगारक, २. दो विकालक, ३. दो लोहिताक्ष, ४. दो शनैश्चर, ५. दो आधुनिक, ६. दो प्राधुनिक, ७. दो कण, ८. दो कनक, ९. दो कनकनक १०. दो कनकवितानक, ११. दो कनकसंतानक, १२. दो सोम, १३. दो सहित, १४. दो आससन, १५. दो कार्योपग, १६. दो कर्बटक, १७. दो अजकरक, १८. दो दुंदुभग, १९. दो शंख, २०. दो शंखवर्ण, २१. दो शंखवर्णाभ, २२. दो कंस, २३. दो कंसवर्ण, २४. दो कंसवर्णाभ, २५. दो रुक्मी, २६. दो रुक्मीभास २७. दो नील, २८. दो नीलाभास, २९. दो भास, ३०. दोभासराशि, ३१. दो तिल, ३२. दो तिल - पुष्यष्पवर्ण, ३३. दो उदक, ३४. दो उदकपंचवर्ण, ३५. दो काक, ३६. दो काकान्ध, ३७. दो इन्द्रग्रीव, ३८. दो धूमकेतु, ३९. दो हरि, ४०. दो पिंगल, ४१. दो बुध, ४२. दो शुक्र, ४३. दो बृहस्पति, ४४. दो राहु, ४५. दो अगस्ति, दो माणवक, ४७. दो कास, ४८. दो स्पर्श, ४९. दो धूरा, ५०. दो प्रमुख, ५१. दो विकट, ५२. दो विसंधि, ५३. दो नियल्ल, ५४. दो पदिक, ५५. दो जटिकादिलक, ५६. दो अरुण, ५७. दो अग्रिल, ५८. दो काल, ५९. दो महाकाल, ६०. दो स्वस्तिक, ६१. दो सौवस्तिक, ६२. दो वर्धमानक, ६३. दो प्रलंब, ६४. दो नित्यालोक, ६५. दो नित्योद्योत, ६६. दो स्वयंप्रभ, ६७. दो अवभाष, ६८. दो श्रेयंकर, ६९. दो क्षेमंकर, ७०. दो आभंकर, ७१. दो प्रभंकर, ७२. दो अपराजित, ७३. दो अरत, ७४. दो अशोक, ७५. दो विगतशोक, ७६. दो विमल, ७७. दो व्यक्त, ७८. दो वितथ्य, ७९. दो विशाल, ८०. दो शाल, ८१. दो सुव्रत, ८२. दो अनिवर्त, ८३. गो एकजटी, ८४. दो द्विजटी, ८५. दो करकरिक, ८६. दो जाल, ८७. दो पुष्पकेतु और ८८. दो भावकेतु ।
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[१५] जम्बूद्वीप की वेदिका दो कोस ऊंची | लवण समुद्र चक्रवाल विष्कंभ से दो लाख योजन का है । लवण समुद्र की वेदिका दो कोस की ऊंची हैं ।
[९६] पूर्वार्ध धातकीखंडवर्ती मेरु पर्वत के उत्तर और दक्षिण में दो क्षेत्र कहे गये हैं जो अति समान हैं - यावत्-उनके नाम भरत और ऐरवत । पहले जम्बूद्वीप के अधिकार में