SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 153
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १५२ आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद की चौड़ी है । [७५७] जम्बूद्वीपवर्ती मेरुपर्वत के दक्षिण में महाहिमवंत वर्षधर पर्वत पर आठ कूट हैं, यथा [७५८] सिद्ध, महाहिमवंत, हिमवंत, रोहित, हरीकूट, हरिकान्त, हरिवास, वैडूर्य । [७५९] जम्बूद्वीपवर्ती मेरुपर्वत के उत्तर में रुक्मी पर्वत पर आठ कूट हैं, यथा[७६०] सिद्ध, रुक्मी, रम्यक्, नरकान्त, बुद्धि, रुक्मकूट, हिरण्यवत, मणिकंचन । [७६१] जम्बूद्वीपवर्ती मेरुपर्वत के पूर्व में रुचकवर पर्वत पर आठ कूट हैं, यथा[७६२] रिष्ट, तपनीय, कंचन, रजत, दिशास्वस्तिक, प्रलम्ब, अंजन, अंजनपुलक । [७६३] इन आठ कूटों पर महर्धिक यावत् पल्योपम स्थितिवाली आठ दिशा कुमारियां रहती हैं । यथा [७६४] नंदुत्तरा, नंदा, आनन्दा, नंदिवर्धना, विजया, वैजयंती, जयंती, अपराजिता । [७६५] जम्बूद्वीपवर्ती मेरुपर्वत के दक्षिण में रुचकवर पर्वत पर आठ कूट हैं, यथा[७६६] कनक, कंचन, पद्म, नलिन, शशि, दिवाकर, वैश्रमण, वैडूर्य । [७६७] इन आठ कूटों पर महर्धिक यावत् पल्योपम स्थितिवाली आठ दिशा कुमारियां रहती हैं । यथा [७६८] समाहारा, सुप्रतिज्ञा, सुप्रबद्धा, यशोधरा, लक्ष्मीवती, शेषवती, चित्रगुप्त, वसुंधरा । [७६९] जम्बूद्वीपवर्ती मेरुपर्वत के पश्चिम में रुचकवर पर्वत पर आठ कूट हैं, यथा[७७०] स्वस्तिक, अमोघ, हिमवत्, मंदर, रुचक, चक्रोत्तम, चन्द्र, सुदर्शन । [७७१] इन आठ कूटों पर महर्धिक यावत् पल्योपम स्थितिवाली आठ दिशाकुमारियां रहती हैं, यथा [७७२] इलादेवी, सुरादेवी, पृथ्वी, पद्मावती, एक नासा, नवमिका, सीता, भद्रा । [७७३] जम्बूद्वीपवर्ती मेरुपर्वत के उत्तर में रुचकवर पर्वत पर आठ कूट हैं, यथा[७७४] रत्न, रत्नोच्चय, सर्वरत्न, रत्नसंचय, विजय, वैजयंत, जयन्त, अपराजित । [७७५] इन आठ कूटों पर महर्धिक यावत् पल्योपम स्थितिवाली आठ दिशाकुमारियां रहती हैं, यथा [७७६] अलंबुसा, मितकेसी, पोंडरी गीत-वारुणी, आशा, सर्वगा, श्री, ह्री । [७७७] आठ दिशा कुमारियां अधोलोक में रहती हैं, यथा [७७८] भोगंकरा, भोगवती, सुभोगा, भोगमालिनी, सुवत्सा, वत्समित्रा, वारिसेना, और बलाहका । [७७९] आठदिशा कुमारियां ऊर्ध्वलोक में रहती हैं, यथा [७८०] मेघंकरा, मेघवती, सुमेघा, मेघमालिनी, तोयधारा, विचित्र, पुष्पमाला, और अनिंदिता । [७८१] तिर्यंच और मनुष्यों की उत्पत्तिवाले आठ काल (देवलोक) हैं, यथा-सौधर्मयावत्-सहस्त्रारेन्द्र । इन आठ कल्पों में आठ इन्द्र हैं, यथा-शक्रेन्द्र-यावत्-सहस्त्रारेन्द्र । इन आठ इन्द्रों के आठ यान विमान हैं, यथा-पालक, पुष्पक, सौमनस, श्रीवत्स, नंदावर्त, कामक्रम, प्रीतिमद, विमल ।
SR No.009780
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy