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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अजायज-१ ॥७॥ ॥ ८॥ iles II Noll f109 11 (७७) ॥७२॥ ॥७३॥ ७४|| ॥७५॥ (७२) संवेगालोयगे तह य मावालोयण केवली पय खेव केवली व मुहनंतग-केवली तहा (७३) पछित्त-केवली सम्म महा-वेरग्ग-केवली . आलोयणा केवली तह यहाई पावित्ति-केवली (४) उस्सुत्तुम्मग्ग-पनवए हा हा अनायार- केवली सायचं न कोमित्ति अक्खंडिय-सील केवली तव-संजम-वय-संरक्खे निंदण-गरिहणे तहा संवत्तो सील-संरक्खे कोडी-पच्छित्तए विय निष्परिकम्मे अकंडुयणे अनिमिसच्छी यकेवली एग-पासित्तदोपहरे मूणव्यय-केवली तहा नसक्को काउ सामन्नं अनसणे ठामि केवली नवकारकेवली तह य निचालोयण केयली निसल्ल-केवली तह य सल्लद्धरणकेवली धन्नेमि त्तिसपुण्णो सता हंपी किंन केवली ससल्लो हंन पारेमिचल-कह-पय-केवली पख-सुद्धाभिहाणे य चाउम्मासीय केवली (८०) संवच्छर-माह-पच्छिते हा चल-जीवितेतहा अनिच्चेखण-विद्धंसीमणयत्ते केवली तहा (८१) आलोय-निंद-बंदियए घोर-पच्छित्त-दुक्करे लक्खोवसग्ग-पछित्ते सम-हियासण-केवली हत्योसरण-निवासे य अट्ठकवलासिकेवली एग-सित्यग-पछिते दस-या से केवली तहा पच्छित्तादवगे चेव पच्छित्तद्ध-कय-केवली पच्छित-परिसमत्तीय अट्ट-स-उकोस-केवली नसुद्धी विन पच्छित्ता ता वरं खिप्प केवली एगंकाऊण पच्छित्तंबीयंन पवे जहचेव केवली तंचायरामि पच्छितंजेणागच्छइ केवली तंचायरामिजेण तवं सफल होइ केवाली किं पच्छितं चरतोहंधिटुंनो तव-केवली जिणाणमाणन लंघेहं पाण-परिचयण केवली अन्नं होही सरीरं मे नो बोही चेव चेव केवली सुलद्धमिणं सरीरेणं पाव-निकरुण-केवली अणाइ-पाव-कम्म-मलं निरोवेमीह केवली बीयं तं न समायरियंपमाया केयली तहा देदे खयओ सरीरं मे निजरा भवउ केवली सरीरस्स संजमं सारं निक्कलंकंतु केवली ७६॥ ॥७७॥ ||७८॥ ॥७९॥ ||2|| ||८|| १८२|| १८३|| 11८४॥ For Private And Personal Use Only
SR No.009768
Book TitleAgam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages154
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 39, & agam_mahanishith
File Size3 MB
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