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अजायज-१
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८॥
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(७७)
॥७२॥
॥७३॥
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(७२) संवेगालोयगे तह य मावालोयण केवली
पय खेव केवली व मुहनंतग-केवली तहा (७३) पछित्त-केवली सम्म महा-वेरग्ग-केवली
. आलोयणा केवली तह यहाई पावित्ति-केवली (४) उस्सुत्तुम्मग्ग-पनवए हा हा अनायार- केवली
सायचं न कोमित्ति अक्खंडिय-सील केवली तव-संजम-वय-संरक्खे निंदण-गरिहणे तहा संवत्तो सील-संरक्खे कोडी-पच्छित्तए विय निष्परिकम्मे अकंडुयणे अनिमिसच्छी यकेवली एग-पासित्तदोपहरे मूणव्यय-केवली तहा नसक्को काउ सामन्नं अनसणे ठामि केवली नवकारकेवली तह य निचालोयण केयली निसल्ल-केवली तह य सल्लद्धरणकेवली धन्नेमि त्तिसपुण्णो सता हंपी किंन केवली ससल्लो हंन पारेमिचल-कह-पय-केवली
पख-सुद्धाभिहाणे य चाउम्मासीय केवली (८०) संवच्छर-माह-पच्छिते हा चल-जीवितेतहा
अनिच्चेखण-विद्धंसीमणयत्ते केवली तहा (८१) आलोय-निंद-बंदियए घोर-पच्छित्त-दुक्करे
लक्खोवसग्ग-पछित्ते सम-हियासण-केवली हत्योसरण-निवासे य अट्ठकवलासिकेवली एग-सित्यग-पछिते दस-या से केवली तहा पच्छित्तादवगे चेव पच्छित्तद्ध-कय-केवली पच्छित-परिसमत्तीय अट्ट-स-उकोस-केवली नसुद्धी विन पच्छित्ता ता वरं खिप्प केवली एगंकाऊण पच्छित्तंबीयंन पवे जहचेव केवली तंचायरामि पच्छितंजेणागच्छइ केवली तंचायरामिजेण तवं सफल होइ केवाली किं पच्छितं चरतोहंधिटुंनो तव-केवली जिणाणमाणन लंघेहं पाण-परिचयण केवली अन्नं होही सरीरं मे नो बोही चेव चेव केवली सुलद्धमिणं सरीरेणं पाव-निकरुण-केवली अणाइ-पाव-कम्म-मलं निरोवेमीह केवली बीयं तं न समायरियंपमाया केयली तहा देदे खयओ सरीरं मे निजरा भवउ केवली सरीरस्स संजमं सारं निक्कलंकंतु केवली
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