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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org २६ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अंगदाओ ८/१/४८ एक्कारस अंगाई अहिज्जइ बहूहिं [चउत्व]-तवोकम्मेहिं अप्पाणं भावेमाणी विहरइ तए णं सा काली अजा अण्णया कयाइ जेणेव अज्जचंदणा अशा तेणेय उवागया उद्यागच्छित्ता एवं वयासी- इच्छामि णं अजाओ तुमेहिं अमणुष्णया समाणी रयणावलिं तवं उवसंपञ्चित्ता णं विहरित्तए अहासुरं देवाणुप्पियाए मा पडिवंचं करेहि तए णं सा सा काली अजा अज्जचंदणाए अमणुण्णाया समाणी रवणावलिं तवं उवसंपजित्ता णं विहरइ तं जहा चउत्यं करेइ करेत्ता सव्वकामगुणिवं पारेइ खड्ड करेइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ अट्ठ करेइ करेत्ता सव्वकामगुणिय पारेइ अट्ठ छट्ठाई करेइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ चउत्थं करेइ करेता सव्वकामगुणिचं पारेइ छटुं करेइ करेता सव्वकामगुणियं पारेइ अट्टमं करेइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारे दसमं करेइ करेता सव्वकामगुणियं पारेइ दुवालसमं करेइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारे चोदसमं करेइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ सोलसमं करेइ करेता सव्वकामगुणियं पारेइ अट्ठारसमं करेइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ वीसइमं करेइ करेता सव्वकामगुणियं पारेइ बावीसइमं कोइ करेता सव्वकामगुणियं पारेइ चउवीसइमं करेन करेता सव्वकामगुणियं पारे छबीसइमं करेइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ अट्ठावीसइयं करेइ करेता सव्वकामगुणियं पारेइ तीसइमं करेइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ तीसइमं करेइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ बत्तीसइमं करेइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारंइ चोत्तीसइमं करइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ चोत्तीसं छट्टाई करेइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ चोत्तीसइमं करेइ करेता सव्वकामगुणियं पारेइ बत्तीसइमं करेइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ तीसइमं करेइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ अट्ठवीसइमं करेइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ छब्बीसइयं करेइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ चउवीसइमं करेइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ बावीसइमं करेइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ वीसइमं करेइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ अट्टारसमं करेइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ सोलसमं करेइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ चोदसमं करेइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ बारसमं करेइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ दसमं करेइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ अट्ठमं करेइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ छटुं करेइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ चउत्थं करेइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ अट्ठ छट्टाइ कोइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ अट्ठमं करेइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ छट्टं करेइ करेत्ता सव्वकामगुणिवं पारेइ चउत्थं करेइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ एवं खलु एसा रयणावलीए तवोकम्मस्स पढमा परिवाडी एगेणं संवच्छरणं तिहिं मासेहिं बावीसाए य अहोरतेहिं अहासुतं जाय आराहिया भवइ तयाणंतरं च णं दोचाए परिवाडीए चउत्थं करेइ करेता बिगइवज्रं पारेइ छटुं करेइ करेत्ता विगइवज्जं पारेइ एवं जहा पढमाए परिवाडीए तहा बीयाए वि नवरं सव्यपारणए विगइवजं पारेइ जाब आराहिया भवन तयाणंतरं च णं तथाए परिवाडीए चउत्थं करेइ करेता अलेवाडं पारेइ सेसं तहेव नवरं नलेवाड पारेइ एवं चउत्था परिवाडी नवरं सव्वपारणए आयंबिलं पारेइ सेसं तं चैव ।१७-२-17-2 पढमंमि सव्वकामं पारणयं विइयए विगइवजं तइयंमि अलेवाडं आयंबिलमो चउत्यम्मि (४९) |19|1-1 (५०) तए णं सा काली अज्जा रयणवली तयोकम्पं पंचहि संवच्छरेहिं दोहि य मासेहिं अट्ठावीसाए य दिवसेहिं अहासुतं जाव आराहेत्ता जेणेव अज्जचंदणा अञ्जा तेणेव उदागच्छ उवा For Private And Personal Use Only
SR No.009734
Book TitleAgam 08 Antgadadasao Angsutt 08 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages42
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 08, & agam_antkrutdasha
File Size1 MB
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