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८ ॥
तं कमल कंद भवनं, परिनामु नन्त ममलं ॥ सौ एक अट्ठ उवनं तं कन्द सहज मिलनं ॥ तं अग्रकमल कलनं, चौसठि चरन मिलनं ॥ परिनामु अलष्य लषियं तं तिविहि कम्मु षिपियं ॥ सिरी नन्दनन्द सुरयं तं सहजनन्द रमनं ॥ १० ॥ पर परमनन्द जिनुत्तं, तं सिद्धि मुक्ति विलसं ॥ ११ ॥
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स न्यानी ॥
स न्यानी ॥
स न्यानी ॥
स न्यानी ॥
स न्यानी ॥
स न्यानी ||
२८
१३. जयना ले फूलना ( फूलना क्र. १५३)
( विषय: जिन स्वभाव की महिमा, जिनेन्द्र स्वभाव को प्रगटाने का पुरुषार्थ ) जय जयना ले, जय जय जिनेंद जयना ले। उव उवन समय जिनु परमानंद, जयना ले ॥ कलि कलन कलिय सुइ कमल जिनेंद, जयना ले । कलि कमल उवन सुइ जिनय जिनेंद, जयना ले ॥ १ ॥ जयना ले जिन जिनवर राउ, जयना ले । मुक्ति रमन सम समय सहाउ, जयना ले ॥ २ ॥ ॥ आचरी ॥ चरना ले चर चरन सहाउ, चरना ले । चरन कमल धुव उवन सुभाउ चरना ले ॥ कमल उवन धुव उवन सुभाउ, धुवना ले। ध्रुव उवन कमल सम कर्न सहाउ, धुवना ले ॥ ३ ॥
॥ जय ॥
सम समय समय सम सुवन सहाउ, सुवना ले। सुव सुवन समय सम हियन सुभाउ, हियना ले ॥ हिय उवन उवन हुव उवन सहाउ, हियना ले हुव हुवन हुवन अवयास सुभाउ, हुवना ले ॥ ४ ॥
॥ जय ॥
१४. सुन्न उवन फूलना ( फूलना क्र. १६२)
१ ॥
(विषय: जिन स्वभाव की महिमा, जिनेन्द्र स्वभाव को प्रगटाने का पुरुषार्थ) उव उवन विंद विंद विंद जिनु होई, सुइ विंद सुन्न सुन्न विंद समेई ॥ समय उवन जिनवर बंध विलेई, कमल कलन जिन जिनवर सोई ॥ उवन उवन सुन्न सुन्न सुन्न जिन होई, सुइ सुन्न उवन जिन सुन्न
२ ॥ आचरी ॥ समेई ॥ ३ ॥
॥ समय ॥
सुइ सुन्न समय सुइ सुन्न बिंद सोई, सुइ विंद सुन्न सम जिनवर होई ॥ ४ ॥
॥ समय ॥
जिन नंत सुन्न सुइ नंत विंद सोई, सुइ नंत नंत सुन्न विंद समेई ॥ ५ ॥
॥ समय ॥
सुइ श्रेनि विंद सुन्न कलन जिन होई, सुइ कलन सुन्न जिन सुन्न समेई ॥ ६ ॥
॥ समय ॥
सुइ कलन श्रेनि जिन कलन समेई, सुइ तार कमल जिन जिनवर सोई ॥ ७ ॥
॥ समय ॥