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सो मुनियो हो, उत्तउ जिनु हो ममल सुभाए। धरि धरियो हो, अर्थ तिअर्थह न्यान सहाए ॥ कलि कलियो हो, ममल दिस्टि यह कमल सुभाए। रै रमियो हो, पंच दिप्ति यह आद सहाए ॥ ३ ॥
॥ तुम्हरी॥ उदि उदियो हो, इस्ट संजोगे परम सुभाए । दिपि दिपियो हो, परम जोति यह अप्प सहाए ॥ लहि लहियो हो, अंगदि अंगह सुद्ध सुभाए | मै मइयो हो, अंग सर्वंगह ममल सहाए ॥ ४ ॥
|| तुम्हरी॥ रहि रहियो हो, सुष्यम सहियो ममल सुभाए । गहि गहियो हो, नन्तानन्त सु गगन सहाए ॥ उगि उगियो हो, ऊर्धह सुद्धह मुक्ति सुभाए । मल रहियो हो, ममल बुद्धि यह षिपक सहाए ॥ ५॥
॥ तुम्हरी॥ उव उवनो हो, दिस्टि देइ सो देव सुभाए । सहकारे हो, देइ अनन्तु जु अन्मोय सुभाए ॥ दर दरसिउ हो, देइ सु दर्सन न्यान सहाए । औकासह हो, उपजै न्यानु सु रयन सुभाए ॥ ६ ॥
॥तुम्हरी॥ गुरु गुरुवति हो, लोयालोय सु ममल सुभाए । गुरु गुपित सु हो, दिट्ठउ दीन्हउ चरन सहाए ॥ चरि चरियो हो, ममल दिस्टि यहु अप्प सुभाए । तव यरियो हो, सहकारे जिनु सहज सुभाए ॥ ७॥
॥ तुम्हरी॥ उप उपजै हो, कम्मु अनन्तु अनिस्ट सुभाए। षिपि षिपियो हो, न्यान दिस्टि यह ममल सहाए॥ नंद नंदियो हो, चिदानन्द जिनु कमल सुभाए । आनन्दिउ हो, परम नन्द सु मुक्ति सहाए ॥ ८ ॥
॥ तुम्हरी॥ यह जानहु हो, भय विनासु सु भव्व सुभाए। पर परजय हो, दिस्टि न देइ सु ममल सुभाए ॥ अन्मोयह हो, मिलियो जोति सु रयन सहाए । षिपि कम्मु जु हो, मुक्ति पहुंते ममल सहाए ॥ ९॥
|| तुम्हरी॥ दिपि दिपियो हो, देउलंक्रित सो अन्मोय सहाए। भय षिपनिक हो, मिलियो रमियो षिपक सुभाए॥ आनन्दिउ हो, परमानन्द यह परम सुभाए । अन्मोयह हो, मिलियो जोति सु सिद्ध सुभाए ॥१०॥
॥ तुम्हरी॥
१२. स न्यानी मुक्ति पऊ फूलना (फूलना क्र.५३)
(विषय : लक्षण परिणाम) उववंन उवन ममलं, तंन्यान रमन सुरयं । स न्यानी मुक्ति पऊ ॥१॥ जिननाथ रमन मिलनं,तं अमिय कमल रमनं। स न्यानी मुक्ति पऊ॥ भय षिपिय मुक्ति मिलनं, स न्यानी मुक्ति पऊ॥ २ ॥ आचरी ॥ उवंकार ऊर्ध गमनं, विन्यान विंद ममलं ॥ ३ ॥ स न्यानी ॥ तं विंद सहज सुरयं, तं नन्त कम्मु विलयं ॥ ४ ॥ स न्यानी ।। उववन्न कमल सुरयं, सिरी कमल सिद्धि रमनं ॥ ५॥ स न्यानी ॥