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चरि चरन कलन सुइ उवन रमन जिनु, त्काल रमनु जिन उत्तु । उव उवन सहावे रमन सुयं जिनु, सुइ रमन सिद्धि संपत्तु ॥ ७ ॥
॥हो स्वामी॥ चरन कलन सुइ उवन रमन जिनु, कलि उवन कमल धुव उत्तु । सुइ उवन कमल तर तार रमन जिनु, उव कमल सिद्धि संपत्तु ॥ ८ ॥
॥हो स्वामी॥ सुइ अर्क अर्क सुइ कमल अर्क जिनु, सुइ अर्क कमल जिन उत्तु । सह समय अर्क सुइ कमल अर्क जिनु, उव कमल सिद्धि संपत्तु ॥ ९ ॥
॥हो स्वामी॥ उव उवन कमल सुइ धुवं उवन जिनु, धुव उवन समय सुव उत्तु । धुव उवन सुवन सुइ कमल रमन जिनु, उव कमल सिद्धि संपत्तु ॥ १०॥
॥हो स्वामी॥ सुइ तारन तरन सु कमल रमन जिनु, सुइ तार कमल जिन उत्तु । सुइ तरन सहावे उवन कमल जिनु, सह समय सिद्धि संपत्तु ॥ ११ ॥
|| हो स्वामी॥
६. दोहा बसन्त गाथा (फूलना क्र.११०)
(विषय : इष्ट दिप्ति, उत्पन्न दिप्ति, विवान-५) उव उवन उवन दर्संतु, दर्संतु रे, उव उवन सहावे समय मौ । उव उवन समय विलसंतु, विलसंतु रे, उव उवन सहावे मुक्ति पौ ॥ १ ॥ दिप्ति दिस्टि जिन उत्तु, जिन उत्तु रे, दिस्टि दिप्ति सुइ रमन पौ । सब्द प्रियो जिन उत्तु, जिन उत्तु रे, प्रिये सब्द सुइ मुक्ति पौ ॥ २ ॥ मैय उवनु सुइ उत्तु, सुइ उत्तु रे, सुइ मैय सुयं जिन उवन मौ । अढल ढलनु जिन दिठु, जिन दिठु रे, जिन जिनय ढलन सुइ मुक्ति पौ ॥ ३ ॥ अवयास ढलनु सुइ नंतु, सुइ नंतु रे, मै उवनु उवनु जिनु समय मौ । सम समय समय सम उत्तु, सम उत्तु रे, उव उवनु समय सुइ मुक्ति पौ ॥ ४ ॥ इस्ट उवन इस्टंतु, इस्टंतु रे, उवन इस्ट इस्ट ममल पौ । जं दिप्ति दिस्टि इस्टंतु, इस्टंतु रे, उवन इस्टि उव मुक्ति पौ ॥ ५ ॥ इस्ट उवन दर्संतु, दर्संतु रे, इस्ट उवनु सुइ समय मौ । उवन इस्टि दर्संतु, दर्संतु रे, उव उवन दिस्टि सुइ मुक्ति पौ ॥ ६ ॥ इस्ट उवन रमनंतु, रमनंतु रे, उवन इस्टि इस्ट समय मौ । उव उवन रमन इस्टंतु, इस्टंतु रे, उव इस्ट रमन जिनु मुक्ति पौ ॥ ७ ॥