________________
सद्ज्ञान, सचारित्र जागृत हो। नैतिकता, स्वाध्याय, विनम्रता की वृत्ति का विकास हो। परंपराओं का सम्यक् आगम प्रेरित आचरण, पूज्य-पूजक विधान का ज्ञान, गुरुवाणी की प्रभावना के संस्कारों का विकास हो । मानव मात्र के जीवन में यह पाठ्य योजना आध्यात्मिक बीजारोपण कर परम आनंद में निमित्त बने । इसके लिये श्रीमद् तारण तरण ज्ञान संस्थान कृत संकल्पित है। इस हेतु बहुमूल्य सुझाव भी आमंत्रित हैं।
इस पवित्र धर्म-प्रभावना-उपक्रम में पूज्य बा. ब्र.श्री बसन्त जी की प्रेरणा, श्रद्धेय बा. ब्र.श्री आत्मानंद जी, श्रद्धेय बा. ब्र. श्री शांतानंद जी, श्रद्धेय ब्र. श्री परमानंद जी, बा. ब्र. श्री अरविंद जी विदुषी बा. ब्र. बहिनश्री उषा जी, बा. ब्र. सुषमा जी, ब्र. मुन्नी बहिन जी, ब्र. आशारानी जी, बा. ब्र. संगीता जी एवं समस्त तारण तरण श्री संघ सदैव प्रथम स्मरणीय हैं। समाज के श्रेष्ठीजन, विद्वानों, चिंतकों, लेखकों तथा प्रत्यक्ष-परोक्ष तन-मन-धन से सहयोग करने वाले सदस्यों, संयोजकों तथा समस्त साधर्मी बंधुओं, प्रवेशार्थियों का भी श्रीमद् तारण तरण ज्ञान संस्थान आभार व्यक्त करता है। जिनका सहयोग ही इस ज्ञानयज्ञ की सफलता है।
श्रीमद् तारण तरण ज्ञान संस्थान संचालन कार्यालय - श्री तारण भवन,
संत तारण तरण मार्ग, छोटी बाजार, छिंदवाड़ा (म. प्र.) ४८०००१
आभार श्रीमद तारण तरण ज्ञान संस्थान उन सभी व्यक्तियों, संस्थाओं, मंडलों और प्रकाशकों का आभारी है, जिन्होंने इस पाठ्य पुस्तक के निर्माण में प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से अपना बहुमूल्य योगदान दिया है । पाठ्य पुस्तक में संकलित विषय वस्तु के रचनाकारों, प्रकाशकों का भी कृतज्ञ है। छायाचित्र, रेखाचित्र, परिभाषाओं एवं सिद्धांतों के सम्पादन में सहयोगी समस्त विद्वत्जनों, कलाकारों के प्रति आभारी है, जिन्होंने समय-समय पर अपने अमूल्य सुझाव दिये हैं।