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________________ पत्र मॉडल, श्री तारण तरण मुक्त महाविद्यालय प्रश्न द्वितीय वर्ष (परिचय) द्वितीय प्रश्न पत्र - आराधना समय -३ घंटा पूर्णांक- १०० नोट : सभी प्रश्न हल करना अनिवार्य है। शुद्ध स्पष्ट लेखन पर अंक दिए जावेंगे। प्रश्न १- रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए - (अंक २ x ५ = १०) (क) ज्ञान मार्ग के पथिक निश्चय से............. को ही सच्चा देव मानते है। (ख) जब आत्मदर्शन हो सही, फिर............. से काम क्या। (ग) ज्ञानीजन शुद्ध चिदानंदमयी............. की स्तुति उच्चारण करते हैं। (घ) ............. अविरत सम्यग्दृष्टि के लिए कहा गया है। (ङ) हितकार अर्थ का बीजाक्षर मंत्र ............. है। प्रश्न २ - सत्य/असत्य कथन चुनकर लिखिए - (अंक २४५=१०) (क) पंडितो पूज आराध्यं जिन समयं च पूजते। (ख) चार महाव्रत, चार समिति, पाँच गुप्ति होती हैं। (ग) त्रिभंगीसार करणानुयोग का ग्रंथ है। (घ) आठ कर्मों से रहित आत्मा पूर्ण शुद्ध सिद्ध है। (ङ) ज्ञानी विभाव में कभी एकत्व रूप परिणमन नहीं करते। प्रश्न ३ - सही जोड़ी बनाइये - स्तंभ-क स्तंभ - ख (अंक २ x ५=१०) प्रक्षालन संसार से छूटने की भावना आभूषण स्वयं का दोष कहकर प्रायश्चित लेना संवेग सद्गुरु के सद्गुणों का स्मरण गर्दा अज्ञान, मिथ्या मान्यता उपासना रत्नत्रय, समता, ध्रुवता प्रश्न ४ - सही विकल्प चुनकर लिखिये - (अंक २ x ५= १०) (क) शुद्ध भाव में स्थिर होना ही--है- (१) ज्ञान विज्ञान (२) ज्ञान स्नान (३) प्रक्षालितं (४) आभरणं (ख) आत्मानुभूति की बढ़ती हुई अवस्थाएं है-(१) पदवी (२) परमेष्ठी (३) गुण स्थान (४)पंचार्थ (ग) ज्ञान सरोवर--से भरा है- (१) जल (२) मल (३) मिथ्यात्व (४) सम्यक्त्व (घ) ध्रुवधाम का चिंतन-मनन कहलाता है- (१) शरीर (२) संयम (३) निश्चय तप (४) व्य. स्वाध्याय (ङ) महापुरुष कुल होते हैं - (१) १६७ (२) १६८ (३) १६९ (४) १७० प्रश्न ५- किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर लगभग ३० शब्दों में लिखिये (अंक ४x ५= २०) (१) उपदेश शुद्ध सार ग्रंथ की विषय वस्तु का परिचय दीजिये। (२) पंडित की क्या परिभाषा है? (३) पंचार्थ को स्पष्ट कीजिए। (एक-वाक्य में) (४) निर्वेद, उपशम की परिभाषा लिखिए। (५) अंतरशोधन का मार्ग क्या है? (६) ज्ञानी किस प्रकार देवदर्शन करते हैं ? प्रश्न ६ - किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर लगभग ५० शब्दों में दीजिये - (अंक ६४५=३०) (१) दातारो दान सुद्धं च, पूजा आचरन संजुतं के आधार पर सम्यक्ज्ञानी के दान का संक्षिप्त परिचय दीजिए। (२) टिप्पणी लिखिए-ज्ञानी का प्रक्षालन एवं वस्त्र। (३) किसी एक मत का परिचय दीजिए (पाठ के आधार पर) (४) पदवी के नाम लिखकर किन्हीं दो पदवी का स्वरूप समझाइये। (५) मूलगुण किसे कहते हैं? नाम सहित वर्णन कीजिए। (६) पुरुषार्थी साधक को कर्म की प्रबलता क्यों नहीं होती? प्रश्न ७- किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग २०० शब्दों में लिखिये - (अंक १x१०=१०) (अ) अध्यात्म आराधना के आधार पर पूजा विधि का परिचय दीजिए। (ब) सात तत्व नौ पदार्थ में आत्म श्रद्धान किस प्रकार करना चाहिए। अथवा पंडित पूजा जी ग्रंथ के आधार पर सम्यग्ज्ञान का स्वरूप समझाइये।
SR No.009716
Book TitleGyanpushpa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Gyan Samsthan Chindwada
PublisherTaran Taran Gyan Samsthan Chindwada
Publication Year
Total Pages211
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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