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प्रश्न
उत्तर
प्रश्न उत्तर
प्रश्न उत्तर
प्रश्न उत्तर
II
प्रश्न
उत्तर
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४. सुषमा दुःषमा, ५. सुषमा, ६. सुषमा सुषमा ।
प्रश्न
काल चक्र का परिवर्तन क्या निरंतर चलता है ?
उत्तर उत्सर्पिणी अवसर्पिणी नामक दोनों ही भेद अपने छह कालों के साथ साथ कृष्ण पक्ष और
शुक्ल पक्ष की तरह परिवर्तित होते रहते हैं। जिस तरह कृष्ण पक्ष के बाद शुक्ल पक्ष और शुक्ल पक्ष के बाद कृष्ण पक्ष बदलता रहता है, उसी तरह अवसर्पिणी के बाद उत्सर्पिणी और उत्सर्पिणी के बाद अवसर्पिणी काल बदलता रहता है।
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काल कहते हैं। उत्सर्पिणी काल का प्रमाण १० कोडाकोडी सागर है।
अवसर्पिणी काल किसे कहते हैं?
जिसमें मनुष्यों के बल, आयु और शरीर का प्रमाण क्रम-क्रम से घटता जाये उसे अवसर्पिणी काल कहते हैं। अवसर्पिणी काल का प्रमाण भी १० कोडाकोडी सागर है।
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अवसर्पिणी काल के कितने भेद होते हैं ?
अवसर्पिणी काल के छह भेद होते हैं - १. सुषमा- सुषमा, २. सुषमा, ३. सुषमा दुःषमा, ४. दुःषमा - सुषमा, ५. दुःषमा, ६. दुःषमा – दुःषमा । उत्सर्पिणी काल के कितने भेद होते हैं ?
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उत्सर्पिणी काल के छह भेद होते हैं - १. दुःषमा - दुःषमा, २. दुःषमा, ३. दुःषमा- सुषमा,
२.
३.
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अवसर्पिणी काल के प्रथम सुषमा- सुषमा काल की क्या विशेषताएँ हैं ?
सुषमा सुषमा काल की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं
१.
इस काल में सुख ही सुख होता है। यह भोग प्रधान काल है। इसे उत्कृष्ट भोगभूमि का काल कहते हैं ।
४.
५.
२.
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इस काल के प्रारम्भ में मनुष्यों की ऊँचाई ६००० धनुष और आयु ३ पल्य की होती है। अंत में घटते घटते ऊँचाई ४००० धनुष एवं आयु २ पल्य रह जाती है।
तीन दिन के बाद चौथे दिन कल्पवृक्ष से प्राप्त बेर के बराबर आहार करते हैं।
यह काल ४ कोड़ाकोड़ी सागर का होता है, इसमें शरीर का वर्ण स्वर्ण के समान होता है।
अवसर्पिणी काल के द्वितीय सुषमा काल की क्या विशेषताएँ हैं ?
१.
प्रथम काल की अपेक्षा सुख में हीनता हो जाती है। इसे मध्यम भोगभूमि का काल कहते हैं।
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इस काल के जीव जन्म के २१ दिनों के बाद पूर्ण वृद्धि को प्राप्त हो जाते हैं। जिसका क्रम इस प्रकार है - शय्या पर अंगूठा चूसते हुए ३ दिन, उपवेशन (बैठना ) ३ दिन, अस्थिर गमन ३ दिन, स्थिर गमन ३ दिन, कला गुण प्राप्ति ३ दिन, तारुण्य ३ दिन और सम्यक् गुण प्राप्ति की योग्यता ३ दिन । यहाँ के जीव २१ दिन के बाद सम्यग्दर्शन प्राप्त करने की योग्यता प्राप्त कर लेते हैं।
इस काल में जन्मे युगल ३५ दिनों में पूर्ण वृद्धि को प्राप्त हो जाते हैं। जैसे प्रथम का में सात प्रकार की वृद्धियों में ३- ३ दिन लगते थे, यहाँ ५५ दिन लगते हैं।