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________________ १६२ प्रश्न ०८६- मतिज्ञान किसे कहते हैं? उत्तर - इन्द्रिय और मन की सहायता से जो ज्ञान होता है उसे मतिज्ञान कहते हैं। प्रश्न ०८७- मतिज्ञान के कितने भेद हैं? उत्तर - मतिज्ञान के दो भेद हैं- सांव्यवहारिक प्रत्यक्ष और परोक्ष। (व्यवहारिक दृष्टि से जो मतिज्ञान इन्द्रिय और मन के द्वारा साक्षात् होता है, वह सांव्यवहारिक प्रत्यक्ष मतिज्ञान कहलाता है तथा जो मतिज्ञान सांव्यवहारिक प्रत्यक्ष या धारणा के बाद होता है, वह परोक्ष मतिज्ञान कहलाता (-परीक्षामुख आदि न्यायग्रन्थों के आधार पर) प्रश्न ०८८- परोक्ष मतिज्ञान के कितने भेद हैं ? उत्तर - परोक्ष मतिज्ञान के चार भेद हैं - स्मृति, प्रत्यभिज्ञान, तर्क और अनुमान। प्रश्न ०८९- मतिज्ञान के अन्य प्रकार से कितने भेद हैं? उत्तर - अन्य प्रकार से मतिज्ञान के चार भेद हैं - अवग्रह, ईहा, अवाय और धारणा। प्रश्न ०९०- अवग्रह किसे कहते हैं? उत्तर - इन्द्रिय और पदार्थ का यथायोग्य सम्बन्ध होने के बाद उत्पन्न हुए सामान्य प्रतिभासरूप दर्शन के पश्चात् अवान्तर सत्ता सहित विशेष वस्तु को ग्रहण करने वाले विशेष ज्ञान को अवग्रह कहते हैं। जैसे - यह मनुष्य है। प्रश्न ०९१- ईहा किसे कहते हैं? उत्तर अवग्रह से जाने हुए पदार्थ की विशेषता के विषय में उत्पन्न हुए संशय को दूर करने वाले इच्छा रूप ज्ञान को ईहा कहते हैं। जैसे - ये ठाकुरदासजी होना चाहिए? यह ज्ञान भी इतना कमजोर है कि यदि किसी पदार्थ की ईहा होकर छूट जाये; उसका निश्चय न हो तो उसके विषय में कालान्तर में संशय और विस्मरण हो जाता है। प्रश्न ०९२- अवाय किसे कहते हैं? उत्तर - ईहा से जाने हुए पदार्थ में 'यह वही है, अन्य नहीं है'- ऐसे निश्चयात्मक ज्ञान को अवाय कहते हैं। जैसे - ये ठाकुरदासजी ही हैं, अन्य नहीं हैं। अवाय से जाने हुए पदार्थ में संशय तो नहीं होता किन्तु विस्मरण हो सकता है। प्रश्न ०९३- धारणा किसे कहते हैं? उत्तर - जिस ज्ञान से जाने हुए पदार्थों में कालान्तर में संशय तथा विस्मरण नहीं होता है उसे धारणा कहते हैं। मतिज्ञान के भेद अवग्रह अवाय स्वरूप सर्वप्रथम जानना इच्छा-अभिलाषा निर्णय कालांतर में संक्षय-विम्मरण हो जाता है | संशय तो नहीं, पर विस्मरण
SR No.009716
Book TitleGyanpushpa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Gyan Samsthan Chindwada
PublisherTaran Taran Gyan Samsthan Chindwada
Publication Year
Total Pages211
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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