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________________ ६३ शलाका पुरुष और नारद, रुद्र, कामदेव सम्बंधी युगपत् अस्तित्व काल सूचक पत्र क्र. २४ तीर्थकर १२ चक्रवर्ती ९ बलभद्र ९ नारायण ९ प्रतिनारा. ९ नारद २४ कामदेव * * * * ०१ ०१. ऋषभनाथ १. भरत ०२ ०२. अजितनाथ २. सगर ०१. बाहुबलि * * ०२. प्रजापति ०३ ०३. संभवनाथ * ०४ ०४. अभिनंदन ०५ ०५. सुमतिनाथ ०६ ०६. पद्मप्रभ ०७ ०७. सुपार्श्वनाथ ०८ ०८. चन्द्रप्रभ ०९ ०९. पुष्पदंत १० १०. शीतलनाथ ११ ११. श्रेयांसनाथ १२ १२. वासुपूज्य १३ १३. विमलनाथ १४ १४. अनन्तनाथ १५ १५. धर्मनाथ १६ * 2 w 2 v o ३. मघवा १७ + ४. सनत्कुमार १८ १६. शांतिनाथ ५. शान्तिनाथ १९ १७. कुन्थुनाथ २० २१ २२ २३ १९. मल्लिनाथ २४ २५ २७ २८ + + २६ २०. मुनिसुव्रत ६. कुन्थुनाथ १८. अरहनाथ ७. अरहनाथ ८. सुभीम + + + २९ २१. नमिनाथ * ३० + ३१ २२. नेमिनाथ * ३२ + ३३ २३. पार्श्वनाथ ३४ २४. महावीर ३५ + *** ९. महापद्म * १०. हरिषेण * * ११. जयसेन * १२. ब्रह्मदत्त * * * * - * * १. विचल २. अचल ३. सुधर्म ४. सुप्रभ ५. सुदर्शन * * १. त्रिपिष्ट २. द्विपिष्ट * * ६. नन्दी * ७. नन्दीमित्र ७. दत्त * * * * * ८. रामचन्द्र ८. लक्ष्मण * * ९. बलराम ९. कृष्ण * * * * * * १. अश्वग्रीव २. तारक ३. स्वयंभू ३. मेरुक ४. पुरुषोत्तम ४. निशुंभ ५. पुरुषसिंह ५. मधुकैटभ ५. काल ४. महारुद्र * * * * * * ६. पुंडरीक ६. प्रहलाद ६. महाकाल * * * ७. बलि * ** * * * * १८. रावण * * ०५. प्रसेनचन्द्र ०६. चन्द्रवर्ण ०७. अग्नियुक्त * ०८. सनत्कुमार ३. शंभु ०९. वत्सराज * ४. विश्वानल १०. कनकप्रभ ५. सुप्रतिष्ठ ११. मेष्प्रभ १. भीम २. महाभीम ६. अचल * ३. रौद्र (इन्द्र) ७. पुंडरीक ८. अजितंधर ९. जितनाभि * * १०. पीठ * ७. दुर्मुख * * * ८. नरमुख * |११ रुद्र १. भीम २. बलि * * * * * ९. जरासंध ९. अधोमुख * * * * * * * * * * ०३. श्रीधर ०४. दर्शनभद्र * * १२. शांतिनाथ १३. कुन्थुनाथ १४. अरहनाथ * १५. विजयराज १६. श्रीचंद्र १७. नलराज * २०. वसुदेव २१. प्रद्युम्न * ११. महादेव २२. नागकुमार * * * * * * १८. हनुमंत १९. बलिराज २३. जीवंधर २४. जम्बूस्वामी सूचना - इस सारणी में जो तीर्थंकरों के नामों के आगे चक्रवर्ती बलभद्र आदि के नाम लिखे हैं, वे उन उन तीर्थंकरों के समय में हुए हैं ऐसा समझना चाहिये और तीर्थंकरों के नाम वाले खाने में जो + इस प्रकार का चिन्ह है और उसके आगे जिन | चक्रवर्ती आदि के नाम लिखे है तो वे सब पहले और बाद के होने वाले तीर्थंकरों के अंतराल काल में हुये ऐसा समझना चाहिये। जिस कोष्टक में जहाँ जहाँ इस प्रकार का चिन्ह है वहाँ-वहाँ उनका अभाव समझना चाहिये ।
SR No.009716
Book TitleGyanpushpa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Gyan Samsthan Chindwada
PublisherTaran Taran Gyan Samsthan Chindwada
Publication Year
Total Pages211
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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