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________________ पाँच अणुव्रत-१. अहिंसाणुव्रत, २. सत्याणुव्रत,३. अचौर्याणुव्रत,४. ब्रह्मचर्याणुव्रत, ५. परिग्रह प्रमाण अणुव्रत। तीन गुणव्रत - १. दिग्वत, २. देशव्रत, ३. अनर्थदण्ड त्याग व्रत। ३. चार शिक्षाव्रत-१. सामायिक,२.प्रोषधोपवास,३.भोगोपभोग परिमाण, ४. अतिथि संविभाग। प्रश्न - अणुव्रत किसे कहते हैं? उत्तर - हिंसा, असत्य, चोरी, कुशील, परिग्रह इन पाँच पापों के एकदेश त्याग को अणुव्रत कहते हैं। प्रश्न - अहिंसाणुव्रत किसे कहते हैं ? उत्तर - संकल्पपूर्वक हिंसा न करना अर्थात् संकल्पी हिंसा का त्याग कर अन्य तीनों प्रकार की हिंसा से भी यथा साध्य बचने का प्रयत्न करते हुए आत्मा को रागादि भावों से बचाना अहिंसाणुव्रत है। प्रश्न - हिंसा कितने प्रकार की होती है? उत्तर हिंसा चार प्रकार की होती है। १. संकल्पी हिंसा, २. उद्योगी हिंसा, ३. आरम्भी हिंसा, ४. विरोधी हिंसा। १. संकल्पी हिंसा - संकल्प (इरादा) पूर्वक किया गया प्राणघात संकल्पी हिंसा है। २. उद्योगी हिंसा - व्यापार आदि कार्यों में सावधानी वर्तते हुए भी जो हिंसा होती है वह उद्योगी हिंसा है। आरम्भी हिंसा - गृहस्थी के आरम्भ आदि कार्यों में सावधानी वर्तते हुए भी जो हिंसा होती है वह आरम्भी हिंसा है। विरोधी हिंसा - अपने तथा अपने परिवार, धर्मायतन आदि पर किये गये आक्रमण से __ रक्षा के लिये अनिच्छा पूर्वक की गई हिंसा विरोधी हिंसा है। प्रश्न - सत्याणुव्रत किसे कहते हैं ? - प्रमाद के योग से असत् वचन बोलना असत्य है। इसका एकदेश त्याग सत्याणुव्रत है। प्रश्न असत्य कितने प्रकार का होता है ? उत्तर असत्य चार प्रकार का होता है। १. सत् का अपलाप । २. असत् का उद्भावन। ३. अन्यथा प्ररूपण। ४. गर्हित वचन। १. सत् का अपलाप - विद्यमान पदार्थ को अविद्यमान कहना सत् का अपलाप है। २. असत् का उद्भावन - अविद्यमान पदार्थ को विद्यमान कहना असत् का उद्भावन है। ३. अन्यथा प्ररूपण - कुछ का कुछ कहना अर्थात् वस्तु स्वरूप जैसा है वैसा न कहकर अन्यथा कहना अन्यथा प्ररूपण है। जैसे - हिंसा में धर्म बताना। ४. गर्हित वचन - निंदनीय, कलहकारक, पीड़ाकारक, शास्त्र विरुद्ध, हिंसा पोषक आदि वचनों को गर्हित वचन कहते हैं। प्रश्न - अचौर्याणुव्रत किसे कहते हैं? उत्तर - पानी और मिट्टी के अतिरिक्त अन्य कोई भी वस्तु बिना दिये नहीं लेना उसे अचौर्याणुव्रत कहते है। ४. उत्तर - अ
SR No.009716
Book TitleGyanpushpa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Gyan Samsthan Chindwada
PublisherTaran Taran Gyan Samsthan Chindwada
Publication Year
Total Pages211
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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