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________________ ज्ञान विज्ञान भाग-१ चौदह ग्रन्थ - श्री मालारोहण जी, श्री पण्डित पूजा जी, श्री कमल बत्तीसी जी, श्री श्रावकाचार जी, श्री ज्ञान समुच्चय सार जी, श्री उपदेश शुद्ध सार जी, श्री त्रिभंगी सार जी, श्री चौबीस ठाणा जी, श्री ममलपाहुड़ जी, श्री खातिका विशेष जी, श्री सिद्ध स्वभाव जी, श्री सुन्न स्वभाव जी, श्री छद्मस्थ वाणी जी, श्री नाम माला जी। पन्द्रह योग चार मनोयोग-सत्य मनोयोग, असत्य मनोयोग, उभय मनोयोग, अनुभय मनोयोग । चार वचन योग-सत्य वचन योग, असत्य वचन योग, उभय वचन योग, अनुभय वचन योग । सात काय योग - औदारिक, औदारिक मिश्र, वैक्रियक, वैक्रियक मिश्र, आहारक, आहारक मिश्र, कार्माण । सोलह ध्यान - चार आर्त ध्यान - इष्ट वियोग, अनिष्ट संयोग, पीड़ा चिंतवन, निदान बंध। चार रौद्र ध्यान - हिंसानंदी, मृषानंदी, चौर्यानंदी, परिग्रहानंदी। चार धर्म ध्यान - आज्ञा विचय, अपाय विचय, विपाक विचय, संस्थान विचय। चार शुक्ल ध्यान - पृथक्त्व वितर्क वीचार, एकत्व वितर्क वीचार , सूक्ष्म क्रिया प्रतिपाति, व्युपरत क्रिया निवृत्ति। सत्रह नियम भोजन, षट्रस, जल, कुमकुम विलेपन, पुष्प, पान, गीत, संगीत, नृत्य, ब्रह्मचर्य, स्नान, आभूषण, वस्त्र, वाहन, शयन, आसन, सचित्त वस्तु । (प्रतिदिन संकल्प करने के सत्रह नियम)। अठारह दोष भूख, प्यास, रोग, बुढ़ापा, जन्म, मरण, भय, राग, द्वेष, गर्व, मोह, चिंता,मद, अचरज, निद्रा, अरति, खेद, स्वेद । उन्नीस जीव समास - पृथ्वीकाय बादर व सूक्ष्म, अपकाय बादर व सूक्ष्म, अग्निकाय बादर व सूक्ष्म, वायुकाय बादर व सूक्ष्म, नित्यनिगोद बादर व सूक्ष्म, इतर निगोद बादर व सूक्ष्म, सप्रतिष्ठित प्रत्येक, अप्रतिष्ठित प्रत्येक, दो इन्द्रिय, तीन इन्द्रिय, चार इन्द्रिय, संज्ञी पंचेन्द्रिय, असंज्ञी पंचेन्द्रिय । बीस विशेष गुण स्पर्श के आठ - हल्का, भारी, कड़ा, नरम, रूखा, चिकना, ठंडा, गरम । रस के पाँच - खट्टा, मीठा, कड़वा, चरपरा, कषायला। गंध के दो - सुगंध, दुर्गन्ध। वर्ण के पाँच - काला, पीला, नीला, लाल, सफेद। इक्कीस औदयिक भाव - गति चार - नरक, तिर्यंच, मनुष्य, देव । कषाय चार - क्रोध, मान, माया, लोभ । लिंग तीन - स्त्री, पुरुष, नपुंसक। मिथ्यादर्शन, अज्ञान, असंयम, असिद्धत्व । लेश्या छह - कृष्ण, नील, कापोत, पीत, पद्म, शुक्ल। बाईस अभक्ष्य - ओला, दहीबड़ा, रात्रिभोजन, बहुबीजा, बैंगन, अचार मुरब्बा, बड़, पीपल, ऊमर, कठूमर, पाकर, अनजान फल, कंदमूल, मिट्टी, विष, मांस, शहद, मक्खन, मदिरा, अत्यंत तुच्छ फल, तुषार, चलित रस वाली वस्तुएँ।
SR No.009715
Book TitleGyanodaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Gyan Samsthan Chindwada
PublisherTaran Taran Gyan Samsthan Chindwada
Publication Year
Total Pages207
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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