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ज्ञान विज्ञान भाग -१
पाठ-३
तारण पंथ का मूल आचार प्रश्न - तारण पंथ किसे कहते हैं और तारण पंथी कौन होता है? उत्तर - संसार से तिरने के मार्ग को अर्थात् मोक्षमार्ग को तारण पंथ कहते हैं। सम्यग्दृष्टि ज्ञानी तारण
पंथी होता है क्योंकि वह सम्यग्दर्शन पूर्वक मोक्षमार्ग में आचरण करता है। प्रश्न तारण पंथ का मूल आचार क्या है? उत्तर - सात व्यसनों के त्यागपूर्वक अठारह क्रियाओं का पालन करना तारण पंथ का मूल आचार है। प्रश्न - व्यसन किसे कहते हैं और कौन-कौन से होते हैं? उत्तर - बुरी आदत को व्यसन कहते हैं, व्यसन सात होते हैं :
१. जुआँ खेलना २. माँस खाना ३. शराब पीना ४. वेश्यागमन करना ५. शिकार खेलना ६. चोरी करना ७. परस्त्री सेवन करना। दोहा - जुआं खेलना मांस मद, वेश्या और शिकार |
चोरी परस्त्री गमन, सातों व्यसन निवार || इन सात व्यसनों का नियम पूर्वक त्याग करना चाहिये। प्रश्न - अठारह क्रियायें कौन-कौन सी हैं? उत्तर - धर्म की श्रद्धा अर्थात् सम्यक्त्व -
अष्ट मूल गुणों का पालन करना चार प्रकार का दान देना रत्नत्रय की साधना करना पानी छानकर पीना रात्रि भोजन त्याग
कुल
का
प्रश्न - धर्म की श्रद्धा अर्थात् सम्यक्त्व किसे कहते हैं? उत्तर - सात तत्त्वों का यथार्थ श्रद्धान व्यवहार सम्यक्त्व है; तथा भेदज्ञान पूर्वक अपने आत्म स्वरूप
की अनुभूतियुत श्रद्धा निश्चय सम्यक्त्व है। इसी को धर्म की श्रद्धा अर्थात् सम्यक्त्व कहते हैं। प्रश्न - मूलगुण किसे कहते हैं? उत्तर - प्रथम भूमिका में पालन किये जाने वाले गुणों को मूलगुण कहते हैं। प्रश्न - मूलगुणों के पालन करने का क्या अभिप्राय है? उत्तर - पाँच उदम्बर (बड़, पीपल, ऊमर, कठूमर, पाकर ) और तीन मकार (मद्य, मांस, मधु) के
त्याग पूर्वक जीव के विशुद्ध गुणों का प्रकट होना मूल गुणों के पालन करने का अभिप्राय है। प्रश्न - दान किसे कहते हैं ? उत्तर - अपने और पर के उपकार के लिए पद के अनुसार चार प्रकार का दान पात्रों को देना दान
कहलाता है।