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प्रश्न १
प्रश्न २
प्रश्न ३
जिनवाणी का सार
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सही विकल्प चुनिये
(क) जिनवाणी में किसका विरोध नहीं होता ?
(अ) पूर्वापर (ब) परस्पर (ख) व्यवहार से जिनवाणी किसे कहते हैं ? (अ) किताब (ब) द्रव्य श्रुत (ग) स्याद्वाद की गंगा में क्या धुल जाता है ? (अ) ज्ञान (ब) कुज्ञान (घ) हमें उपादेय क्या है ?
(अ) अज्ञा (ङ) जिनवाणी में किसकी चर्चा है ?
(अ) वीतरागता की (ब) सरागता की (स) संसार की लघु उत्तरीय प्रश्न -
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अभ्यास के प्रश्न
(क) द्वादशांग का सार क्या है ?
उत्तर जीव जुदा पुद्गल जुदा यही सम्पूर्ण द्वादशांग का सार है।
(ख) जड़ चेतन कैसे हैं?
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(स) ऊपर
(स) भाव श्रुत
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(स) सद्ज्ञान
(ब) क्षयोपशम ज्ञान (स) आत्म ज्ञान
उत्तर - जिनवर का यह संदेश है कि जड़ चेतन न्यारे हैं। शरीर रूपी पुद्गल में रहते हुए भी आत्मा ज्ञानमयी है।
(ग) धर्म किसे कहते हैं ?
उत्तर- धर्म आत्मा का शुद्ध स्वरूप है। धर्म वस्तु स्वभाव है। निर्विकल्प स्वानुभूति को धर्म
कहते हैं ।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
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(क) अनेकांत व स्याद्वाद किसे कहते हैं ?
उत्तर- अनेकांत प्रत्येक वस्तु में वस्तुपने को उत्पन्न करने वाली अस्तित्व नास्तित्व आदि
परस्पर विरुद्ध शक्तियों का एक साथ प्रकाशित होना अनेकांत है ।
स्याद्वाद - वस्तु के अनेकांत स्वरूप को समझाने वाली कथन पद्धति को स्याद्वाद कहते हैं । स्याद् = कथंचित्, वाद = कथन ।
जिनवाणी अनेकांतमयी स्याद्वाद ज्ञान की गंगा है।
(ख) द्वादशांग क्या है ? उनके बारह अंगों के नाम लिखो ।
उत्तर श्रुतज्ञान के सम्पूर्ण विकास को द्वादशांग कहते हैं। द्वादशांग (बारह अंग) निम्नलिखित
हैं - १. आचारांग २. सूत्रकृतांग ३. स्थानांग ४. समवायांग ५. व्याख्या प्रज्ञप्ति अंग ६. ज्ञातृधर्मकथांग ७. उपासकाध्ययनांग ८. अंतः कृतदशांग ९. अनुत्तरोपपादकांग १०. प्रश्नव्याकरणांग ११. विपाक सूत्रांग १२. दृष्टि वादांग ।