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ज्ञान विज्ञान भाग -१
ज्ञान विज्ञान भाग -१
पाठ-१
पंच परमेष्ठी णमो अरिहंताणं
अरिहंतों को नमस्कार। णमो सिद्धाणं
सिद्धों को नमस्कार। णमो आइरियाणं
आचार्यों को नमस्कार। णमो उवज्झायाणं
उपाध्यायों को नमस्कार। णमो लोए सव्वसाहूणं - लोक में सब साधुओं को नमस्कार। प्रश्न - परमेष्ठी किसे कहते हैं? उत्तर - जो परम पद में स्थित हैं, उन्हें परमेष्ठी कहते हैं। प्रश्न - अरिहंत परमेष्ठी किसे कहते हैं? उत्तर - जिन्होंने चार घातिया कर्मों को क्षय कर केवलज्ञान प्रकट किया है जो अठारह दोषों से रहित
और अनन्त चतुष्टय सहित होते हैं, उन्हें अरिहंत परमेष्ठी कहते हैं। प्रश्न - सिद्ध परमेष्ठी किसे कहते हैं? उत्तर - जिन्होंने आठ कर्मों का नाश कर, आठ गुण प्रकट कर लिए हैं, उन अशरीरी परमात्मा को सिद्ध
परमेष्ठी कहते हैं। प्रश्न - आचार्य परमेष्ठी किसे कहते हैं? उत्तर - जो साधु शुद्ध रत्नत्रय की भावना से पाँच आचारों का स्वयं पालन करते हुए संघ के साधुओं से
पालन कराते हैं, जो संघ के नायक होते हैं और शिक्षा-दीक्षा देते हैं उन्हें आचार्य परमेष्ठी
कहते हैं। (पंचाचार - दर्शनाचार, ज्ञानाचार, वीर्याचार, तपाचार, चारित्राचार) प्रश्न उपाध्याय परमेष्ठी किसे कहते हैं? उत्तर - जो साधु रत्नत्रय की भावना सहित ज्ञान का स्वयं अभ्यास करते हैं, जिन कथित पदार्थों के
शूरवीर उपदेशक होते हैं, निःकांक्ष भाव से संघ के अन्य साधुओं को शिक्षा देते हैं उन्हें
उपाध्याय परमेष्ठी कहते हैं। प्रश्न - साधु परमेष्ठी किसे कहते हैं ? उत्तर - जो समस्त पाप-परिग्रह का त्याग कर निर्ग्रन्थ दिगम्बर हो जाते हैं तथा रत्नत्रय की साधना
करते हैं, उन्हें साधु परमेष्ठी कहते हैं। प्रश्न - अरिहंत सिद्ध परमेष्ठी में बड़े कौन से परमेष्ठी हैं? उत्तर - अरिहंत और सिद्ध परमेष्ठी में, सिद्ध परमेष्ठी बड़े होते हैं; क्योंकि वे अशरीरी, समस्त कर्मों
से रहित पूर्ण शुद्ध मुक्त परमात्म पद में स्थित हैं। प्रश्न - सिद्ध परमेष्ठी बड़े है फिर अरिहंतों को पहले नमस्कार क्यों किया जाता है? उत्तर - अरिहंत परमात्मा की दिव्य ध्वनि खिरती है जिससे संसार के समस्त जीवों को मोक्ष मार्ग का
प्रश्न -