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________________ श्री नाममाला जी - महा उत्पन्न न्यान श्री अर्जिका पट तारन तरन ममलश्री, तस्य उत्पन्न दो - विनयरंज ३९३, लषन रंज २८७ । सुवनी दो साह सिरी, मैन रंज सिरी । महा उत्पन्न न्यान श्री अर्जिका पयोग विन्यान विंद श्री, तस्य उत्पन्न तीन सिवरमन १०७, नयरमन ७७४, उत्पन्न कुंवार १६४ । सुवनी तीन गमन सिरी, लषन सिरी, विंद सिरी । विंदसिरी की बहिनें तीन दानसिरी, मानसिरी, परमसिरी । परमसिरी के उत्पन्न चार कनैरंज प्रदेसी २३३, कलनकुंवार देउपति प्रदेसी ११, उक्त रंज उददु १३२, जयकुंवार जिना १७२ । सुवनी दो- सहजसिरी, साहसिरी अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो । - - मानसिरी तस्य उत्पन्न पाँच नंदकुंवार नरपति, व्रितकुंवार नरविधु, षिपनरंज पेमल, धनकुंवार, सुवनरंज प्रदेस । सुवनी दो - कलनसिरी, कल्पसिरी अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो । महा उत्पन्न न्यानसिरी अर्जिका पयोग पट तारन तरन समयश्री, तस्य उत्पन्न पांच सुवनरंज ३०९, सहजरंज पंचाइन २३१, सकलरंज प्रदेस ३६६, सिउकुंवार प्रदेस १८४, जिनकुंवार ८२ । सुवनी दो न्रितसिरी नैना, जानसिरी । जियारंजसिरी का बेटा सहसकुंवार सहस। धुवसिरी सतसई, लषनकुंवार लाला, जल्पकुंवार, जानसिरी, सयलकुंवार । महा उत्पन्न न्यानसिरी अर्जिका पयोग पट तारन तरन सुन्न सुनंदसिरी, तस्य उत्पन्न - अन्मोद षिपन श्रेनि अन्मोय रंजु षेउपति वरड़ी । निलयरंज चाँदन षडैहो ३७७३, अभैरंज चांदा ७३५ कुकावली। उवन श्रेन २४२, जिन रमन होली षामषेड़ो ८८ । सुवनी तीन रमनसिरी, जानसिरी, भुवनसिरी । भुवनसिरी की बहिनें चार उलषिसिरी, ऊ र्धसिरी, आनंदसिरी, - ४५७ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी सुवनसिरी । भुवनश्रेन राजा, उवनसिरी रानी तस्य उत्पन्न सतसई। उलषश्री के उत्पन्न पाँच रमन श्रेणि रैहनु, धनकुंवार धना, जयकुंवार जयपति, विनयरंज बसाउन, मदनकुंवार वैद। - सुवनी दो व्रितसिरी, ऊर्धसिरी सतसई । नंदकुंवार नरपति, अमिय कुंवार अरहु, मैनरंज लड़उ, क्रांतिकुंवार, सब्दकुंवार प्रदेसी। सुवनी चार दर्ससिरी, नयनसिरी, ऊर्धसिरी विमत, सकलसिरी ईदा। उवनंदसिरी - तस्य उत्पन्न पांच ध्रुव रयन धारू वरही, अभयरंज भेउसिरी, कर्नकुंवार ठाकुर, अल्परंज अर्जुन, मिलनरंज मदनसिरी । सुवनी दो करनकुंवर, रमनकुंवरि अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो । - सुवनश्री तस्य उत्पन्न छह विगसरंज विमल, भुवनरंज भीषमु, कनकरंज कुंवरसी, किरनरंज करमचंद, मिलनरंज माइनु, चेयरंज चंदपारू । सुवनी दो - जानरूवा, जल्परूवा अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो । रैनरंज रूपचंद, व्रितकुंवार नरपति, श्रीफूलकार, षिपकरूवा षेमा, दिप्तिरूवा देउला, दानरूवा देउमा, विक्तरूवा विमलश्री, मानसुवा मानिकदे, अषयरूवा अहिमनदे, सिवरूवा सिंगारदे, रैनरूवा रायचंद, रंजसुवा रूपिनी, हियरंज रूवा हरसिनी, सिय धुव, पदमरुवा पांचों, भुवनरूवा भिषनी, मिलन रूवा मूंगा, पियरूवा पुनश्री, परमरुवा पंवार श्री । - महा उत्पन्न न्यानश्री अर्जिका पयोग पट तारन तरन जिन श्रेणि हिययार श्री, तस्य उत्पन्न - अल्पकुंवार जौनसिरी, जल्पकुंवार जल्पु, जिनरंज जिनदास अगरवारो । हिययारश्री तस्य बहिनें चार लवनश्री, रमनश्री, ठानश्री, ममलश्री अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो । -
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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