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श्री ममल पाहुइ जी सुइ नंत ढलन ढल ढलिय उवन जिनु, सुइ मुक्ति ढलन ढलि राऊंगा ॥ १४ ॥
॥ जय. ॥ सुइ कंठ कंठ सुइ कंठ मुक्ति जिनु,
सुइ कंठ कमल उल्हसाऊंगा । तं उल्हस विगस सुइ कंठ कलन जिनु, सुइ कंठ कमल सिद्धि राऊंगा ॥ १५ ॥
॥ जय. ॥ रुइय रमन जिनु,
रुड़ रमन चरन चरिराऊंगा । सुइ रुइय रमन जिनु, रुइ कमल मुक्ति विलसाऊंगा ॥ १६ ॥
॥ जय. ॥ रुइ रमन चरन सुइ कलन उवन जिनु,
सुइ कलन कमल जिनु राऊंगा । जिनयति नंत नंत धुव उवने, धुव उवन मुक्ति विलसाऊंगा ॥ १७ ॥
॥ जय. ॥ सुइ कलन कमल सुइ रमन कलन सुइ,
सुइ चरन कमल चरिराऊंगा । सुइ नंत विसेषे नंत कमल जिनु, सुइ नंत मुक्ति विलसाऊंगा ॥ १८ ॥
॥ जय. ॥
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी सुइ श्रेनि श्रेनि जिन श्रेनि रमन जिनु,
सुइ कलन कलिय सिद्धि राऊंगा । सुइ तारन तरन सु कमल रमन जिनु, सह समय मुक्ति विलसाऊंगा ॥ १९ ॥
॥ जय. ॥ सुइ रमन रमन तत्काल रमन जिनु,
सुइ चरन कंद रमि राऊंगा । सुइ सुयं सुयं सौ अट्ठ रमन जिनु, परिनामु सुयं दरसाऊंगा ॥ २० ॥
॥ जय. ॥ तं चरन अग्र सुइ सुयं सुयं जिनु,
चौसठि चरन रचराऊंगा । सुइ चरन चरन सुइ इच्छ चरन जिनु, सुइ इच्छ कमल सिद्धि राऊंगा ॥ २१ ॥
॥ जय. ॥ सुइ साह साह सुइ साह रमन जिनु,
बत्तीस बत्तीस रमाऊंगा । सुइ सहस अठोत्तरु लष्यन लषिये, सुइ जिन चौबीस वंदाऊंगा ॥ २२ ॥
॥ जय. ॥ सुइ कमल कंद सौ अट्ठ रमन जिनु,
सुइ कमल अग्र चौसठयाऊंगा ।
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