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श्री ममल पाहुइ जी सुइ रमन चरन कलि कलिय रमन जिनु, सुइ रमन कमल धुव पाऊंगा ॥ ५ ॥
॥ जय. ॥ तत्काल रमन सुइ उवन मिलन जिनु,
सुइ दिप्ति दिस्टि रसहाऊंगा । सुइ सब्द प्रिये हिय हुवं रमन जिनु, धुव रमन कमल विलसाऊंगा ॥ ६ ॥
॥ जय, ॥ सुइ सुयं रमन सुइ कलन रमन जिनु,
सुइ उलटि चरन रचराऊंगा । उव उवन सहावे सुयं उवन निहि, धुव रमन कमल सिद्धि राऊंगा ॥ ७ ॥
॥ जय. ॥ सुइ चरन कलन जिनु,
सुइ उलटि कलन कलि राऊंगा । हिय हवं सिद्धि जिनु, हिय हुवन कमल सिद्धि जाऊंगा ॥ ८ ॥
॥ जय. ॥ सुइ उवन चरन सुइ उवन दर्स जिनु,
सुइ चरन कलन दर्साऊंगा । सुइ रमन रयन सुइ दिप्ति दर्स जिनु, धुव कमल उवन विगसाऊंगा ॥ ९ ॥
॥ जय. ॥
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी मइ मयं मयं मय उवन उवन जिनु,
सहयार ऊर्ध दर्साऊंगा । सुइ ढलन ढलिय सुइ उवन ढलन जिनु, धुव ढलन कमल सिद्धि राऊंगा ॥ १० ॥
॥ जय. ॥ जिन जिनय जिनय सुइ उवन जिनय जिनु,
सुइ हिय हुव रमन रमाऊंगा । बरंबूह सुइ उवन वरं जिनु, सुइ वरं कमल सिद्धि जाऊंगा ॥ ११ ॥
॥ जय. ॥ सुइ दान दान सुइ उवन दान जिनु,
सुइ नंत दान दर्साऊंगा। सुइ नंत नंत तत्काल रमन जिनु, तत्काल कमल सिद्धि जाऊंगा ॥ १२ ॥
॥ जय. ॥ सुइ डाल डाल सुइ मूल रमन जिनु,
सुइ पत्त सुपत्त रमाऊंगा । सुइ उवन उवन सुइ पुहुप रमन फल, सुइ ढलन उवन ढलाऊंगा ॥ १३ ॥
॥ जय. ॥ सुइ ढलन रमन जिन ढलन उवन जिनु,
सुइ ढलन कमल सिद्धि राऊंगा ।
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