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________________ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी श्री ममल पाहुइ जी सुइ सुयं सुर्य सुइ इच्छ सुयं जिनु, सुइ अलष कमल सिद्धि राऊंगा ॥ २३ ॥ ॥ जय. ॥ सुइ सुर्य सुयं सुइ सहस बत्तीसी, सुइ लष्यन तित्थ पिषाऊंगा । सहसु अठोत्तर लष्यन लषिये, सुइ लषन कमल सिद्धि जाऊंगा ॥ २४ ॥ ॥ जय. ॥ सुइ सुर्य सुयं सुइ जिनवर उवने, तित्थयर भाउ दरसाऊंगा । सुइ सुयं उवन चौबीस जिनय जिनु, सुइ दर्स कमल सिद्धि जाऊंगा ॥ २५ ॥ ॥ जय. ॥ सुइ सुयं सुयं जय जयं मयं हिय, सुइ उवन डंडार पिछाऊंगा। सुइ जयं उवन उव उवन हियं मौ, सुइ उवन कमल सिद्धि राऊंगा ॥ २६ ॥ ॥ जय. ॥ सुइ इस्ट जयं सुइ उवन जयं जिनु, जय जय जय जय राऊंगा । जय उवन जय जय रमन जयं जिनु, जय कमल मुक्ति जय जाऊंगा ॥ २७ ॥ ॥ जय. ॥ जय इस्ट इस्ट जय उवन रमन जिनु, जय उवन उवन जय लाऊंगा । जय इस्ट उवन जय उव उवन उवन पय, पै उवन कमल सिद्धि जाऊंगा ॥ २८ ॥ ॥ जय. ॥ जय कंठ चरन जय जयं चरन जिनु, जय चरन मयं दरसाऊंगा । जय रमन जय जय जयो जयं जिनु, जय कमल मुक्ति विलसाऊंगा ॥ २९ ॥ ॥ जय. ॥ जय जय जयं तत्काल रमन जिनु, तत्काल उवन विगसाऊंगा । तत्काल मयं उव ऊर्ध गमन जिनु, तत्काल कमल सिद्धि राऊंगा ॥ ३० ॥ ॥ जय. ॥ तत्काल दर्स सुइ जयं जयं जिनु, जय जयं जयं दरसाऊंगा । जय इस्ट जयं सुइ उवन जयं जिनु, जय कमल मुक्ति विलसाऊंगा ॥ ३१ ॥ ॥ जय. ॥ जय चरन जयं जय कमल जयं जिनु, जय रमन जयं उव रमाऊंगा । (३८६)
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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