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श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
श्री ममल पाहुइ जी सुइ श्रेनि चिंतामनि कलन जिनु, जिन रवना रे । जिन श्रेनि कलन सिद्धि रत्तु, सुयं जिन रखना रे ॥ ४३ ॥ सुइ तारन तरन सु चिंतामनि, जिन रवना रे । जिन उवन कमल विलसंतु, उवन जिन रखना रे ॥ ४४ ।। तारन तरन चिंतामनि कमल मौ, जिन रखना रे । सिहु समय सिद्धि संपत्तु, सिद्ध जिन रवना रे ॥ ४५ ॥
(१२९) स्वामी तारन देवा फूलना
गाथा २७०७ से २७१७ तक
(विषय : कलन चरन रमन महिमा) जिनु जिनयति जिनय जिनय जिनु उवने,
जिनु मुक्ति पंथ दर्संतु । सब्द प्रिये सुइ सुयं उवन जिनु,
___ जय जयो सिद्धि संपत्तु, हो स्वामी तारन देवा ॥ १ ॥ उत्पन्न अर्क दरसाइयौ, जिन स्वामी पाये,
हो स्वामी तारन देवा । अलष लषाउन पाये,
हो स्वामी तारन देवा । अगम गमाउन हो स्वामी तारन देवा, असह सहाउन हो स्वामी तारन देवा ॥ २ ॥
॥ आचरी॥
जिन न्यान विन्यानह उवन रमाई,
तारन तरन समत्थु । जिन दिप्ति दिस्टि उत्पन्न मिली, सिहु समय सिद्धि संपत्तु ॥ ३ ॥
॥होस्वामी.॥ रम रमयति रमन रमन जिन उवने,
उव उवन अर्क अकंतु । अर्क सुभावे उवन अर्क जिनु, उव उवन सिद्धि संपत्तु ॥ ४ ॥
॥होस्वामी.॥ चर चरन उवन सुइ चरन उवन जिनु,
कलि कलिय अर्क जिन उत्तु । जिन जिनय सहावे उवन कलन जिनु, कलि चरन सिद्धि संपत्तु ॥ ५ ॥
॥होस्वामी.॥ कलि कलन कलिय उव कलिय कलन जिनु,
कलि कलिय अर्क जिन उत्तु । जिन जिनय सहावे उवन कलन जिनु, कलि उवन सिद्धि संपत्तु ॥ ६ ॥
॥होस्वामी.॥ चरि चरन कलन सुइ उवन रमन जिनु,
तत्काल रमनु जिन उत्तु ।
(३७९)