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________________ श्री ममल पाहुड़ जी जय षिपने षिपने षिपक सिय उत्तु, ममल धुव ममल पौ रे । सुइ अर्क अर्क सिय उत्तु, अर्क सिय मुक्ति जै रे ।। २७ ।। ॥ जय रंजे. ॥ जय पयं पयं पय उत्तु पयोग सिय उवन जय विंद विन्यान पयोग, समय सिय उव सुइ नंद नंद सुव नंद, नंद हिययार सिय जय जान जान सुइ जान, जैन सिय उवन जय लषन लषन उव लषन, लीन सिय लीन जय भद्र भद्र उव भद्र, मै उवन सिय उवन जै रे । समै रे ॥ २८ ॥ ॥ जय रंजे. ॥ जै रे । जै रे ।। ॥ जै रे जै रे ॥ ॥ २९ ।। जय रंजे ॥ । ३० ॥ ॥ जय रंजे. ॥ । जय सहज सहज उव सहज, पै उवन सिय उवन पै रे पय पयं पयोग सिय उत्तु, कमल उव ध्रुव रमै रे ।। ॥ । जय श्रेनि श्रेनि जिन श्रेनि, कलन श्रेनि अर्क जै रे जय कलन चरन चर कलन, कलन श्रेनि जै रमै रे जय तारन तरन समर्थ, कमल कलि उवन जै रे । जै उवन समय सह उत्तु, समय सुड़ मुक्ति जै ।। ३१ ।। जय रंजे. ॥ ३२ ।। जय रंजे ॥ रे ।। ३३ ।। ॥ जय रंजे. ॥ ३७५ (१२७) रंज रमन नंद फूलना गाथा २६५० से २६६१ तक (विषय पढ़वी सतक्षरी) 1 उव उवन उवन जिन उवन पौ उव उवन जयं जयवंतु रे । उव उवन सहावे मुक्ति पौ, सम समय सिद्धि संपत्तु रे ॥ १ ॥ जिन जिनय उवन जिनु जिनवरा, श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी जिनु उवन कम्मु विलि जाइ रे । जिन भोय विनंद विलि उवन पौ, जिनु उवन मुक्ति विलसाई रे ॥ जिनु उवन समय सुड़ मुक्ति पौ ॥ २ ॥ ॥ आचरी ॥ जय रंज उवन जिन रंज पौ, भय विलय रमन जिन उत्तु रे । सुइ नंद विनंद विलि नंद मौ सुइ रंज रमन नंद जुत्तु रे ॥ ३ 11 ॥ जिन. ॥ जय रंजु उवन हिय उवन मौ जय अमिय रमन जिननाहु रे ।
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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