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________________ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी श्री ममल पाहुइ जी आनंद उवन जिन नंद मौ, जिनु रंज रमन नंद साहु रे ॥ ४ ॥ ॥ जिन. ॥ जिन रंज उवन सहयार मौ, वैदिप्ति रमन विगसंतु रे । सुइ चेयनंद जिनु चेय मौ, जिनु रंज रमन जिन जुत्तु रे ॥ ५ ॥ ॥ जिन. ॥ जिन रंजु उवन सुइ जान मी, जिन रमनु जिनय जिन उत्तु रे । सुइ सहजनंद जिन सहज सुइ, जिन रंज रमन नंद लाहुरे ॥ ६ ॥ ॥ जिन. ॥ जिन रंज उवन जिन रंज मौ, जिननाथ रमन जिन उत्तु रे । सुइ परमनंद जिन परम पौ, जिन रंज रमन नंद नंदु रे ॥ ७ ॥ ॥ जिन. ॥ सुइ श्रेनि उवन जिन श्रेनि मौ, जिन दिप्ति दिप्ति जिन उत्तु रे । जिन श्रेनि सब्द पिउ उवन पौ, जिन श्रवन श्रवन जिन उत्तु रे ॥ ८ ॥ ॥ जिन. ॥ जिन श्रेनि उवन अवयास मौ, जिन हिय हुव रमन जिनुत्तु रे । जिन अभय अर्थ सुइ सुर्क जिनु, जिन विंद विन्यान संजुत्तु रे ॥ ९ ॥ ॥ जिन. ॥ जिन श्रेनि चरन सह सह चरनु, जिनु कलन कलिय जिन उत्तु रे । जिन अर्क सुर्क सुइ कलन मौ, सम समय मुक्ति दर्संतु रे ॥ १० ॥ ॥ जिन. ॥ जिन श्रेनि उवन पिय पिय रमनु, श्रवन सब्द पिउ उत्तु रे । सुइ उवन उवन पौ साहियो, सुइ समय साहि जिन उत्तु रे ॥ ११ ॥ ॥ जिन. ॥ सुइ तारन तरन सु उवन मौ, सुइ उवन कमल विलसंतु रे । समय मौ, सिहु समय सिद्धि संपत्तु रे ॥ १२ ॥ ॥ जिन. ॥ (३७६)
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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