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________________ श्री ममल पाहुइ जी (१२) जय रंजसी अर्क फूलना गाथा २६१७ से २६४९ तक (विषय: कलन चरन रमन, कमल दल, कमल पय, अर्क-३६) जय जयने जयने जयन जयवंतु, उवन जिनु उव रमै रे । जय किरने किरने किरनि अनंते, क्रांति जिनु सिद्धि रमै रे ॥ १ ॥ जय रंजे रंजे उवनु रंजेड़, चरन चरु उव चरै रे । जय रमने रमने उवनु रमेई, परम पउ उव उवन पौ रे ॥ २ ॥ ॥आचरी॥ जिन कलने कलने कलन जिनुत्तु, कलनु जिनु चरन मऊ रे । चरने चरने चरन चरंतु, कलन उव चरन पौ रे ॥ ३ ॥ ॥जय रंजे.॥ जय चरने कलने उवनु कलंतु, उवनु सुइ उवनु जै रे । जय उवने उवने उवन लषंतु, अलष पौ उवन मौ रे ॥ ४ ॥ ॥जय रंजे.॥ अलषे अलषे अगम गमंतु, अगम जिनु उवन जैरे । जय अगमे अगमे दर्स रसंतु, दर्स जिनु दर्स मौ रे ॥ ५ ॥ ॥ जय रंजे.॥ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी जय इस्टे इस्टे उवनु इस्टेई, इस्ट जिनु उवन मौ रे । उव उवने उवने उवन जिनुत्तु, उवन कंठ उवन पौ रे ॥ ६ ॥ ॥जय रंजे.॥ जिन कंठे कंठे उवनु उवंतु, कंठ जिनु जय रमै रे । जय गिरा गिर उवन गिर उत्तु, वानी गिरा जिनवानी रे ॥ ७ ॥ ॥जय रंजे.॥ जय लषने लषने लष्यन उत्तु, अलष पौ जिनु रमै रे । जय कलसे कलसे कलस ढलंतु, अगम गम कलस मौ रे ॥ ८ ॥ ॥जय रंजे.॥ जय लवने लवने लवन अनंतु, उवन लवन उवन जै रे । जय सुवने सुवने सुवन अनंतु, सुवन सुइ सुवन जै रे ॥ ९ ॥ ॥जय रंजे.॥ जय रुवने रुवने उवन रुइ उत्तु, रुइय जिनु कमल मौरे । जय धुवने धुवने धुव जै उत्तु, कमल धुव धुव रमै रे ॥ १० ॥ ॥जय रंजे.॥ जिन जय जय जय जय उत्तु, कमल जय धुव रमै रे । जय पयं पयं पय उत्तु, कमल पय परम पौ रे ॥ ११ ॥ ॥जय रंजे.॥ जय मिलने मिलने उवन मिलंतु, कमल कलि धुव मिलै रे । जय वयने वयने वयन जिनुत्तु, वयन जै कमल जै रे ॥ १२ ॥ ॥ जय रंजे.॥ (३७३)
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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