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श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
इस्ट कमल इस्ट उव कमल सुइ उवनं, उव उवन कमल सुइ सिद्धि सु गमनं ॥ १४ ॥
॥ जिन. ॥ उव उवन श्रेनि कलन उव उवनं, तारन तरन कमल सुइ उवनं ॥ १५ ॥
॥ जिन. ॥ तारन तरन कमल सुइ रमनं, उव तार कमल सम सिद्धि सु गमनं ॥ १६ ॥
॥ जिन. ॥
श्री ममल पाहुइ जी इस्ट दिप्ति इस्ट उवन दिपि उवनं, उव उवन दिप्ति इस्ट दिप्ति सु विलयं ॥ ७ ॥
॥ जिन. ॥ इस्ट सब्द इस्ट उवन सुइ उवनं, उव उवन सब्द कालंतर विलयं ॥ ८ ॥
|| जिन. ॥ इस्ट उवन इस्ट उव उवन सु उवनं, उव उवन सुवन सुइ सिद्धि सु गमनं ॥ ९ ॥
॥ जिन. ॥ इस्ट हियन इस्टं उव हियन उव उवनं, उव उवन हियं सम सिद्धि सु गमनं ॥ १० ॥
॥ जिन. ॥ इस्ट साह इस्टं उवन सह उवनं, उव उवन साह सम सिद्धि सु गमनं ॥ ११ ॥
॥ जिन. ॥ अवयास इस्ट उवन इस्ट उवनं, उव उवन इस्ट सम सिद्धि सु गमनं ॥ १२ ॥
॥ जिन. ॥ इस्ट कमल इस्ट उव कलन सुइ उवनं, उव उवन कलन सम सिद्धि सु गमनं ॥ १३ ॥
॥ जिन. ॥
(१२५) धुव केवलि बनजारौ फूलना
गाथा २६०० से २६१६ तक
(विषय: विवान-१, अक्षर-४८) जय जयो जय जय रमन पौ, रमन पियं पिय उत्तुंगा । जिन सब्द पियं पिय उवन पौ, सम समय सिद्धि संपत्तुंगा ॥ १ ॥ उव केवल बनिजारा रे, सुइ उवन जयं जयवंतुंगा । सुइ मुक्ति पियं पिय रमन पौ, सुइ सब्द पियं जिन नंदुंगा ॥ २ ॥
॥ आचरी॥ सुइ सुयं सुयं सुइ उवन जयं, रंज रंज जिन रंजुंगा । जं जान जान जय उवन पौ, तं तार कमल जिन उत्तुंगा ॥ ३ ॥
॥ उव. ॥
(३७१)