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________________ श्री ममल पाहुड जी कलि उवन चिंतामनि चरन चिंतामनि, कलि कमल चिंतामनि ध्रुवना रे ॥ २० ॥ जिन जै मिलि हौ, जिन जै मिलि हौ, उवन चिंतामनि सुवना रे । जिन जै मिलि हौ, जिन जै मिलि हौ, उवन चिंतामनि मिलना रे ॥ २१ ॥ कमल चिंतामनि ध्रुव उवन चिंतामनि, सुवन चिंतामनि सयना रे । कलि कमल चिंतामनि सुवन चिंतामनि, उव समय मुक्ति जिन रमना रे ।। २२ ।। जिन जै मिलि हौ, जिन जै मिलि हौ, उवन जिन जै मिलि हौ, जिन जै चिंतामनि उल्हसा रे । मिलि हौ, चिंतामनि विगसा रे ॥ २३ ॥ उवन जिन श्रेनि चिंतामनि कलन चिंतामनि, श्रेनि कलन जिन सुवना रे । तर तार चिंतामनि कलि कमल चिंतामनि, सम समय सिद्धि सुइ गमना रे ॥ २४ ॥ जिन जै मिलि हौ, जिन जै मिलि हौ, उवन चिंतामनि विलसा रे । जिन जै मिलि हौ, जिन जै मिलि हौ, उव उवन समय सिद्धि सहसा रे ॥ २५ ॥ ३७० उव उवने उवन छुटि गइ जिन जू रे जिन जिनय जिनवरा, (१२४) जिनवर फूलना गाथा २५८४ से २५९९ तक (विषय विवान पाँच) 1 उवन सुइ उवनं, उव उवन समय सुड़ सिद्धि सु गमनं ॥ १ ॥ रमि रमने रमन श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी जय जयो जयं जय मुक्ति रमैरा ॥ २ ॥ आचरी ॥ जय जयने जयन जयन जय जयनं, सरनि टूटिगी गारी, रमि रमन समय जिन मुक्ति पियारौ ॥ ३ || ॥ जिन. ॥ || जय उवन समय सुड़ मुक्ति गमनं ॥ ४ ॥ ॥ जिन. ॥ दिपि दिप्ति दिप्ति उवन सुइ दिपियं उवन सुइ रमनं, उव उवन रमन सम सिद्धि सु गमनं ॥ ५ || ॥ जिन. ॥ सुइ उवन दिप्ति कालंतर षिपियं ॥ ६ || ॥ जिन. ॥
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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