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श्री ममल पाहुइ जी जिन जै मिलि हौ, जिन जै मिलि हौ,
कलन कमल धुव आसा रे ॥ ९ ॥ असम असम जिनु असम रमन जिनु,
असम समय सम साहा रे । असम असम सुइ असम उवन जिनु,
सिहु समय मुक्ति जिन सहसा रे ॥ १० ॥ हौ, जिन जै मिलि हो,
चमर चरन जिन चरना रे । जिन जै मिलि हौ, जिन जै मिलि हौ,
उवन कमल धुव उवना रे ॥ ११ ॥ असह सहनु सुइ असह सहन जिनु,
असह साह जिन साहा रे । अगह गहनु जिनु अगह रमन जिनु,
अगम समय सिद्धि साहा रे ॥ १२ ॥ जिन जै मिलि हौ, जिन जै मिलि हौ,
धुव उवन कमल कर्न साहा रे । जिन जै मिलि हौ, जिन जै मिलि हौ,
उवन छत्र सम सेजा रे ॥ १३ ॥ अलह अलह जिनु अलह रमन जिनु,
अलह लब्धि अवगाहा रे । बंध बंध जिनु अवध रमन जिनु,
अवध मुक्ति सम साहा रे ॥ १४ ॥
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी जिन जै मिलि हौ, जिन जै मिलि हो,
छत्र मुक्ति उव लाहा रे । जिन जै मिलि हौ, जिन जै मिलि हौ,
धुव उवन सुवन सिद्धि राहा रे ॥ १५ ॥ दिप्ति चिंतामनि दिस्टि चिंतामनि,
दिस्टि दिप्ति उव उवना रे । सब्द चिंतामनि पिय चिंतामनि,
पियं सब्द पिय सुवना रे ॥ १६ ॥ जिन जै मिलि हौ, जिन जै मिलि हौ,
__ अपने चिंतामनि उवना रे । जिन जै मिलि हौ, जिन जै मिलि हौ,
उवन चिंतामनि गमना रे ॥ हिय चिंतामनि गहिर चिंतामनि,
साह चिंतामनि रमना रे। हुवन चिंतामनि उवएस चिंतामनि,
उवएस उवन उव उवना रे ॥ जिन जै मिलि हौ, जिन जै मिलि हौ,
उवन चिंतामनि वयना रे । जिन जै मिलि हौ, जिन जै मिलि हौ,
उवन चिंतामनि रमना रे ॥ १९ ॥ कलन चिंतामनि जान चिंतामनि,
पय उवन चिंतामनि उवना रे ।
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