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श्री तारण तरण अध्यात्मवाणीजी
श्री ममल पाहुइ जी तार सुइ तरन सुइ तार चिंतामनि,
कलन सुइ कमल धुव उवन जिनं । समय सुइ समय सह समय चिंतामनि, समय सुइ सिद्धि सुइ मुक्ति जिनं ॥ १० ॥
॥स्वामी हो.॥
(१२) उबन मिलन पचीसी फूलना
गाथा २५५९ से २५८३ तक (विषय विवान-५, पदवी सतक्षरी, कमल दल, पांच अर्थ) जिन जिनयति जिनय उवन जिन उवने,
उव उवन उवन उवएसा रे । जय जयवंत जिनय जिन उवने,
जय समय मुक्ति प्रवेसा रे ॥ १ ॥ जिन जै मिलि हौ, जिन जै मिलि हौ,
अपने उवन जिन पासा रे । जिन जै मिलि हौ, जिन जै मिलि हौ, दिप्ति दिस्टि प्रवेसा रे ॥ २ ॥
॥आचरी॥ जिन जै मिलि हौ, जिन जै मिलि हौ,
सब्द प्रिये जिन आसा रे ।। जिन जै मिलि हौ, जिन जै मिलि हौ,
हिय हुव उवन उवएसा रे ॥ ३ ॥
रमन रमन जिनु उवन रमन जिनु,
रमन जै जयो जिनेसा रे। रंज रमन सुइ नंद रमन जिनु,
सिहु समय मुक्ति प्रवेसा रे ॥ ४ ॥ जिन जै मिलि हौ, जिन जै मिलि हौ,
अपने उवन जिन सेजा रे । जिन जै मिलि हौ, जिन जै मिलि हौ,
अवयास साह जिन साहा रे ॥ ५ ॥ अलष अलष जिनु अलष उवन जिनु,
___ अलष अर्क जिनु अर्का रे । अलष समै सुइ अलष रमन जिनु,
अलष विंद अवगाहा रे ॥ ६ ॥ जिन जै मिलि हौ, जिन जै मिलि हौ,
आसन उवन सिंघासा रे । जिन जै मिलि हौ, जिन जै मिलि हौ,
___ अवयास कलन चर कलसा रे ॥ ७ ॥ अगम अगम जिनु अगम रमन जिनु,
अगम लषन जिन कलसा रे । अगम सुर्य सुइ उवन अगम जिनु,
आयरन अगम जिन सहसा रे ॥ ८ ॥ जिन जै मिलि हौ, जिन जै मिलि हौ,
सिंहासन उवन सिद्धासा रे ।
जिन जै मिलि हो, वसा ॥ ३ ॥
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