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________________ श्री ममल पाहुड जी उव उवन रमन इस्टंतु, इस्टंतु रे, तत्काल रमनु जिन उव इस्ट रमन जिनु मुक्ति पौ ॥ उत्तु, जिन उत्तु रे, दिप्ति दिस्टि जिन रमन पौ । जं तारागन अवयास, अवयास रे, दिस्टि दिप्ति सुइ रमन मौ ॥ ८ ॥ नंत दिप्ति सुइ उत्तु, सुइ उत्तु रे, ऐय दिप्ति नंत तं इस्ट दिप्ति सुइ नंतु, सुइ नंतु रे, जं तारा चंद्र दिपिनंतु, दिपिनंतु रे, रतिहि सहावे जं सूर दिप्ति दिपिनंतु, दिपिनंतु रे, तार चन्द्र नंत दिप्ति नंत दिपिनंतु, दिपिनंतु रे, रयन दिप्ति सुइ तं इस्ट दिप्ति दिपिनंतु, दिपिनंतु रे, छन्न उव उवन दिप्ति नंत छन्न मौ ॥ ९ ॥ दिप्ति मौ । छन्न सुई ॥ १० ॥ जं नंत दिप्ति फल उत्तु, फल उत्तु रे, दिप्ति चिंतामनि उवन छन्न तं नंत पयह संसारू, संसारू रे, मौ । ७ ॥ मौ । उवन रमन दिपि अमिय फलु । मौ ॥ १९ ॥ उवन पयह जिनु मुक्ति पौ ।। १२ ।। ३४५ तत्काल रमन सुइ उत्तु सुइ उत्तु रे, कमल नंद पिउ उत्तु जं सूर दिप्ति रति विलय मौ । पिउ उत्तु रे, दिस्टि दिप्ति सुइ रमन मौ ॥ १३ ॥ सहकार रमन सुइ उत्तु, सुइ उत्तु रे, दिप्ति सहावे दिस्टि उवन दिप्ति दिपियंतु, दिपियंतु रे, जिनु । समय दिस्टि रमि मुक्ति पौ ।। १४ । दिप्ति दिपिय सुइ नंतु, सुइ नंतु रे, ऐय दिस्टि सुइ सम रमनु । तं समय दिप्ति सुइ नंतु, सुइ नंतु रे, श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी उवन दिस्टि सम मुक्ति पौ ।। १५ ।। सब्द नंत सुइ उत्तु, सुइ उत्तु रे, अवयास सब्द सुइ नंत मौ । तं समय सब्द पिउ नंतु, पिउ नंतु रे, उव उवन सब्द पिउ मुक्ति पौ ॥ १६ ॥ साह रमनु सुइ उत्तु, सुइ उत्तु रे, आद सहावे तं असम समय सहनंतु, सहनंतु रे, उवनु उवनु । उवन साह सम मुक्ति पौ ॥ १७ ॥ जं अर्क नंत सुइ उत्तु, सुइ उत्तु रे, उवन अर्क बिनु विलय पौ ।
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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