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________________ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी जं उवनु जिनय जिन उत्तु, जिन उत्तु रे, समय साह सम नंत मौ । भय विलय भेउ सिय भव्वु, सिय भव्वुरे, उवन समय भत्ति मुक्ति पौ ॥ २४ ॥ उव उवन साहि सम उत्तु, सम उत्तु रे, ____सम समय साह जिन जिनय पौ । उव उवन समय सम उत्तु, सम उत्तु रे, सिद्ध समय सम मुक्ति पौ ॥ २५ ॥ श्री ममल पाहुइ जी तं असम समय सुइ नंतु, सुइ नंतु रे, उवन उवन बिनु सरनि पौ ॥ १८ ॥ जं उवन अर्क अवयास, अवयास रे, अर्क समय सुइ विलसियौ । तं उवन कमल अवयास, अवयास रे, कर्न समय सम मुक्ति पौ ॥ १९ ॥ जं अर्क समय सम उत्तु, सम उत्तु रे, कलन कलिय सुइ उवन पौ । जं चरन चरन सुइ उत्तु, सुइ उत्तु रे, तं उवन कलन सम मुक्ति पौ ॥ २० ॥ जं चरन कलन कलयंतु, कलयंतु रे, कलन कमल उव उवन पौ । उव उवन कर्नु साहंतु, साहंतु रे, सुवन कमल सम मुक्ति पौ ॥ २१ ॥ जं तारन तरन उवन्नु, उवन्नु रे, उवन समय सम पिऊ रमनु । तं उवन कमल कलयंतु, कलयंतु रे, उवन दिप्ति दिस्टि मुक्ति पौ ॥ २२ ॥ जं उवन श्रेनि जिन श्रेनि, जिन श्रेनि रे, कलन सहावे कलन मौ । जं तारन तरन जिनुत्तु, जिनुत्तु रे, तार कमल सम मुक्ति पौ ॥ २३ ॥ (११) जिन बत्तीसी फूलना गाथा २३०० तक २३३१ तक (विषय : विवान-१, परमेष्ठी सटीक) जिन जिनयति जिनय सु जिनय पौ, सुनि न्यानी हो । जिनु समय कम्मु विलयंतु, परम जिन स्वामी हो ॥ १ ॥ जिनु दिप्ति दिस्टि सुइ नंत पौ, सुनि न्यानी हो । जिनु दिस्टि दिप्ति प्रिये सुइ नंतु, जिनय जिन स्वामी हो ॥ २ ॥ जिनु दिस्टि दिप्ति सुइ नंत मौ, सुनि न्यानी हो । जिनु दिप्ति दिस्टि जिननाहु, सुयं जिन स्वामी हो ॥ ३ ॥ जिनु मैय उवनु सुइ नंत मौ, सुनि न्यानी हो । मै उवनु जिनय जिननाहु, अलष जिन स्वामी हो ॥ ४ ॥ अन्मोय मैय जिन जिनय जिनु, सुनि न्यानी हो । जिनु मैय उवनु अन्मोय, समय जिन स्वामी हो ॥ ५ ॥
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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