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श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
श्री ममल पाहुइ जी
१७-अलष सी अर्क उवनं उवन सियं सुभाव सुयं सु रमनं, अगमं अनंतं परं । हिययारं सिय अर्क अर्क ममल रमनं, सुद्धं धुवं धुव पदं ॥ हिय हुव नंत सनंत नंत अगम अगमं, अर्क सु अकै सुयं । अषयं अषय पदं अषय सु रमनं, अगमं सु कमलं जयं ॥ २२ ॥
२१-सुरंज सी अर्क उवनं उवन सि अर्क अर्क उवन उवनं, उवनं उवनस्य उवनं पदं । उवनं झड़प स दिस्टि उवन सब्द उवनं, उवनं हियं हुव पदं ।
अवयासं सुइ उवन उवन कलन कमलं, उवनं स उवनं पदं । सहयारं सुइ उवन उवन हंस कमलं, उवनं कलन जिन पदं ॥ २६ ॥
१८- अगम सी अर्क उवन उवन सिय अर्क अर्क साह समयं, सहयारं सिद्धं धुवं । हिययारं सिय अर्क अर्क नंत ममलं, साहति अर्थ जिनं ।। साह साह जिन अर्क अर्क जिनय जिन समयं, अयं च दिप्तिं जयं । जयवंतं जय जय अबलबली जयं, सहकार कमलं जयं ॥ २३ ॥
२२ - सुइ उवन सी अर्क उवनं उवन सु उवन उवन विपनं, दिप्तिस्य अंधं षिपं । हिययारं हुव भुक्त भुक्त सु भुक्त षिपनं, सून्यं च सब्दं षिपं ॥ सहयारं सुइ षिपन षिपिय षिपनं, सीहं वनं गज जथयं । विपिनं सिय सुइ षिपन ममल उवन उवनं, कुन्यानं षिपन कमलयं ॥ २७ ॥
१९- सहयार सी अर्क उवनं उवन सि अर्क अर्क उवन रमनं, रमनं सियं सिय पदं । हिययारं सिय रमन अर्ह रमन ममलं, रमनं सुरं विंजनं ।। सुर विजन सह सह सहय जिन सह, कमलं च कर्न रमं । रमनं दिप्ति सुदिप्ति दिस्टि दिप्ति रमनं, कमलं च सर्व रमं ॥ २४ ॥
२३-विपन सी अर्क उवनं उवन सिय अर्क अर्क ममल उवनं, रयनं सि रमनं सुयं । हिययारं सुइ ममल अर्क अर्क ममलं, सूरस्य किरनं जयं ॥ सहयारं सुइ ममल नंत अर्क ममलं, नंतं पदं जिन पदं । ममलं सिय सुइ सुवन उवन ममलं, कमलं च जिन उक्तयं ॥ २८ ॥
२०- रमन सी अर्क उवन उवन सिय रंज रंज रयन दिप्ति, रंजं हियं हुव पदं । हिययारं सिय रंज रंज हंस कमलं, रंजं सियं पद अर्थयं ॥ सहयारं सिय रंज रंज कलन कमलं, रंजं जिनं जिन पदं । रंजं रंजसि लोय लोय उवन उवनं, नंतं अनंतं पदं ॥
२४ - ममल सी अर्क उवनं सिय सुइ उवन उवन ममलं, उवनं पदं सिय पदं । सिय उवनं धुव उवन उवन ममलं, उवनं सियं धुव पदं । उवनं सिय पय अर्थ सब्द सु सब्द उवनं, उवन सिय जयं सुइ धुव जयं । धुव उवनं तं नंत सियं कर्न उवन समयं, उवनं समय मुक्ति जयं ॥ २९
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