________________
श्री ममल पाहुड जी
१-कमल सी अर्क कमलं कलन सु उवन उवन चरनं, चरनं सु चरनं जुतं । चरनं चरन अनंत नंत रवनं, सहयार कमलं सुयं ॥ चर चरनं चर चरंति चरियं, चरनं चरं धुव पदं । चरनं चरन चरं चरं सु चरियं, सहयार कमलं धुवं ॥
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी ५-हंस सी अर्क अन्मोयं सुइ कमल चरन कर्न सुवनं, हंसं अनंतं हवं । हुव उवनं अवयास नंत नंत ममलं, अकै अनंतं परं ॥ अर्क नंत सुअर्क अर्क ममलं, अवयासं साहं सुर्य । नंतानंत सुदिप्ति दिस्टि कर्न उवन समयं, अन्मोयं कमलं जिनं ॥ १० ॥
६
॥
२-चरन सी अर्क कलनं कलन उवन्न कमल ममलं, चरनं समासं धुवं । जं कलनं जं कमल चरन उवनं, नंतं च कर्न समं ॥ नंतानंत सु अर्क अर्क उवनं, सुवनं च समयं धुवं । कलनं कमल सु चरन नंत उवनं, कर्न समं धुव पदं ॥ ७
॥
६-अवयास सी अर्क कमलं कर्न सुवन कलन चरनं, अवयास हंसं हवं । दिप्तिं दिप्ति सुदिप्ति दिस्टि दिप्ति समय, दिप्तिं प्रवेसं सुर्य ॥ दिप्तिं दिप्ति उन दिस्टि उवन ममलं, नंतं अनंतं समं । नंतानंत सुदिप्ति दिस्टि उवन समयं, विन्यान कमलं कल ॥ ११ ॥
.-दिप्ति सी अर्क कमलं कलन सुचरन उवन कन, अवयास सुवनं मयं । दिप्तिं दिप्ति प्रवेस नंत उवन सुवनं, दिप्ति सुदिप्तिं मयं ॥ सुद्धं बुद्ध सुबुद्ध अर्क अर्क ममलं, दिस्टि सुदिप्ति सुर्य । दिप्तिं दिस्टि अनंत दिप्ति दिप्ति सु समयं, अन्मोय कमलं जिनं ॥ १२ ॥
-कर्न सी अर्क कलनं कमल सु चरन कर्न समयं, अर्कस्य अर्क मयं । जं अकै सुइ नंत नंत रमनं, रमनं सुरं दिनयरं ॥ अकै अर्क प्रवेस नंत ममलं, हुवयार सुवनं जिनं । सुवनं उवन अनंत नंत ममलं, उववन्नं साहं धुवं । हुवयारं तं नंत नंत अर्क सुवनं, अन्मोयं कमलं सुयं ॥ ८ ॥
४- सुवन सी अर्क कमलं चरन सुकर्न सुवन सुवनं, उवनं सुर्य सुइ जिनं । अर्क नंतानंत रमन सुवनं, हंसं च साहं धुवं ॥ हंस हंस सु अर्क अर्क समयं, साहं सुयं साहनं । हंस हंस उवन्न उवन सुवनं, अन्मोय कमलं जिनं ॥ ९ ॥
८-सुदिप्ति सी अर्क कमलं कर्न सुयं सुयं सु उवनं, अवयास नंतं परं । अवयासं तं नंत नंत ममल उवनं, साहंति अभयं सियं ॥ अभयं अभय सु अर्क अर्क अभय ममलं, भय विलय अभयं सुयं । नंतानंत सु अर्क दिप्ति दिस्टि सब्द उवनं, कमलं च अभयं पदं ॥ १३ ॥
(३१९)