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________________ श्री ममल पाहुइ जी कमल सुयं सुइ उवनं, उवनं सुइ अषय रमन सुर रमनं । सुर विजन पय पयडं, अर्थं सुइ उवन कमल कलनं च ॥ १५ ॥ कमल उत्त जिन उत्तं, जिन वयनं जिन जिनय अवयासं । जिन अर्थ उवन हिय सहियं, कमलं सुइ उवन साहियं कर्न ॥ १६ ॥ कर्न समय हिय उवनं, हिय अवयास अर्थ सुइ रमनं । अर्थं अर्थ अनंतं, नंतं सुइ उवन कमल कर्न च ॥ १७ ॥ कमलं उवन सहावं, उवनं सुइ सुवन कर्न सुइ समयं । समय हिययार हुव उवनं, उवनं अवयास कलन कमलं च ॥ १८ ॥ कलन कमल जय जइयं, जैयं जय जयो सज्जनं सुवनं । सज्जन हिय हुव जैयं, जयवंतो अवयास कमल कलनं च ॥ १९ ॥ कमल कलन जै जैयं, दिप्ति जयं दिप्ति दिस्टि जय समयं । श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी समय सब्द सुइ पीऊ, उवनं सुइ सब्द कर्न सम ममलं ॥ २० ॥ कमल उवन सुइ कलनं, ____सज्जन जय जयो चरन सिय जयनं । चरन कलन सुइ सुवनं, कलनं सुइ कमल सज्जनं सुवनं ॥ २१ ॥ कलन कमल हिय उवनं, हिय हुव सुइ गहिर गुपित गुरुवं च । नो उववन्न सु कमलं, __ समयं सुव सुवन कर्न विंदानं ॥ २२ ॥ कमल कलन सुइ उवनं, उवनं सुइ जान विवान पद कमलं । षिपनं हिय रस रमनं, आयरन कमल समय धुव कनं ॥ २३ ॥ उववन्न रमन सह सुवनं, केवल सुइ लब्धि अंग जिन अंगं । अंगं अनंग जिनुत्तं, कलनं सुइ कमल साहि सुव कन ॥ २४ ॥ उवन मयं सहकारं, ऊर्धं उववन्न ढलन अवयासं । इस्ट उवन जिन उवनं, उवनं सुइ कमल कर्न सुइ समयं ॥ २५ ॥ (३१७
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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