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श्री ममल पाहुइ जी तं रंज रमन आनंद रमन जिनु,
अन्मोय तरन सुइ सिद्धि जयं ।।। भवियन तं विंद रमन उव उवन समं ॥ २ ॥
॥आचरी॥ हिंसा सहयार रमन पर्जय रै,
दिप्ति दिस्टि पर्जय रमनं । अप्प सुभाव हिय न्यान रमन जिनु,
अहिंसा विति पर्जय विलयं ॥ भवियन भय षिपनिक सल्य संक विलयं ॥ ३ ॥
|| जिन. ॥ अनित संसार सरनि सुइ विलयं,
तं अमिय रमन विष विलय जिनु । नितं तं नित न्यान दिपि रमनं,
त्रित दिस्टि अत्रित पर्जय विलयं ॥ भवियन अनित भय षिपिय नित भवु सुयं ॥ ४ ॥
॥ जिन. ॥ स्तेय रमन जिन वयन विरय सुइ,
पर पर्जय रमन सु पद विरयं । सहकार स्तेय सु पर्जय विलयं,
भय सल्य संक गलिय पय परम पदं ॥ भवियन अन्मोय तरन स्तेय विलं ॥ ५ ॥
|| जिन. ॥
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी अबंभ भाव पर्जय रै रमनं,
पर पर्जय विलय सु बंभ रयं । जनरंजन राय कलरंजु विलय जिनु,
मनरंजु विलय मोहंधु विलं ॥ भवियन तं न्यान अन्मोय सु बंभ पयं ॥ ६ ॥
॥ जिन. ॥ परिग्रह प्रमान सु पर्जय विलयं,
घाय कम्मु विलय मिथ्या विलयं । न्यान अन्मोय सु अमिय रमन जिनु,
भय षिपिय ममल पय सिद्धि जयं ॥ भवियन अन्मोय दिप्ति पर्जय विलयं ॥ ७ ॥
॥जिन. ॥ मन सहाइ पर पर्जय रमनं,
गुपित न्यान पर्जय विलयं । गुपित दिस्टि तं गुपित सब्द जिनु,
मन गुप्ति उवन सुइ न्यान मयं ॥ भवियन मन गुप्ति न्यान सुइ ममल पयं ॥ ८ ॥
॥ जिन. ॥ वयन रमन पर पर्जय सहियौ,
गुप्ति वयन सुइ न्यान रयं । गुपित रमन तं गुपित वयन रे,
गुप्ति वयन रै ममल पयं ॥ भवियन गुप्ति वयन जिन वयन रमं ॥ ९ ॥
॥ जिन. ॥