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श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
श्री ममल पाहुइ जी मै मूर्ति तं अर्थ रमन जिनु,
अर्थ तिअर्थ सु ममल पयं । उववन्न रंजु भय षिपक रमन जिनु,
नंद रूव मति ममल जयं ॥ भवियन मति समय रमन केवल उवनं ॥ ६ ॥
॥सहयार.॥ श्रुतं सुइ अर्थ सब्द रमन जिनु,
असब्द गुपित सुइ सब्द जिनं । श्रुतं सुइ लषियं अलष अगम जिनु,
तं रंज रमन नंद श्रुत न्यान सुयं ॥ भवियन श्रुत अरुह रमन षट् केवल कलनं ॥ ७ ॥
॥सहयार.॥ अवहिं तं अवहि गुपित रमन जिनु,
गुपित न्यान तं अवहि पयं । गुपितं लोय लोय जिनु रमनं,
अवहि परम केवलीय जयं ॥ भवियन अन्मोय तरन जिन जिनय जिनं ॥ ८ ॥
॥सहयार.॥ मनपर्जय तं जानु जिनय जिनु,
कम्मु विलय तं ममल पयं । रिजु विपुलं दिप्ति दिस्टि रमन जिन,
मनु समय न्यान केवलि उवनं ॥ भवियन उत्तम षिम रमन सु सिद्धि जयं ॥ ९ ॥
॥ सहयार.॥
भय षिपनिक तं नंत नंत जिनु,
अमिय रमन सुइ ममल पयं । रंज रमन आनंद जिनय जिनु,
केवल सुइ उवन सु सिद्धि जयं ॥ भवियन अन्मोय तरन सुइ मुक्ति जयं ॥ १० ॥
॥ सहयार.॥ तं तारन तरन सहाइ ममल रस,
भय षिपिय अमिय रस जिनय जिनं । तं विंद रमन सुड़ कमल कलिय जिनु,
अन्मोय तरन सुइ सिद्धि जयं ॥ भवियन भय षिपिय ममल रस मुक्ति जयं ॥ ११ ॥
॥सहयार.॥
(१२) तेरह विधि चारित्र फूलना
गाथा १८६० से १८७५ तक
(विषय: तेरह प्रकार का चारित्र) चरन सहाइ तं चरन रमन जिनु,
चरन चरिय जिननाथ सुयं । दर्सन तं न्यान चरन सुइ चरियौ,
वीर्ज जिन चरन सु मुक्ति जयं ॥
भवियन तरन चरन जिनु सिद्धि जयं ॥ १ ॥ जिन जिनय रंजु जिननाथ रमन जिनु,
परमनंद तं परम पयं ।