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श्री ममल पाहुइ जी परम सु परम परम जिन रमनं,
परम तत्तु पद विंद रमं । परम सु लष्य अलष्य परम जिनु,
परम विंद रै उवन समं ॥ अन्मोय अमिय रस सिद्धि जयं ॥ १२ ॥
॥भवियन.॥ दंसन दह समय समय धुव रमनं,
रमन विंद रस अमिय सुयं । भय षिपनिक तं ममल रमन जिनु,
कमल रमन जिन जिनय जिनं ॥ अन्मोय तरन सुइ मुक्ति जयं ॥ १३ ॥
॥भवियन.॥
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी विन्यान रंजु जिन रमन जिनय जिनु,
सहजनंद तं सहज रयं ॥ भवियन ममल रमन जिननाथ सुर्य ॥ २ ॥
॥आचरी॥ पय मिलिय पयं पय अर्थ रमन जिनु,
अर्थ सदर्थ तिअर्थ जिनु । सम समय संजुत्तौ अर्थ सु रमनं,
सहयार जिनय जिनु अर्थ पयं ॥ भवियन कमल रमन जिनु ममल पयं ॥ ३ ॥
॥सहयार.॥ अवयास अर्थ सुइ नंत परम जिनु,
तं नंत नंत अन्मोय पयं । अन्मोय अर्थ सुइ षिपक रमन जिनु,
पिपि नंत कम्मु जिनु मुक्ति जयं ॥ भवियन अन्मोय दिप्ति दिस्टि सिद्धि जयं ॥ ४ ॥
॥ सहयार.॥ अर्थ उवन्नउ कमल रमन जिनु,
लंक्रित विन्यान न्यान रमनं । मै मूर्ति तं नंत रमन जिनु,
अन्मोय षिपिय तं मुक्ति जिनं ॥ भवियन तं विंद रमन सुइ जिनय जिनं ॥ ५ ॥
। सहयार.॥
(९१) न्यान रमन फूलना गाथा १८४९ से १८५९ तक
(विषय : ज्ञान पांच) उव उवन उवन जिनु अषय रमन जिनु,
सुयं रमन सुर सुइ उवनं । विंजन विन्यान न्यान सुइ रमनं,
अष्यर सुर विजन परम पयं ॥
भवियन अन्मोय तरन सुइ सिद्धि जयं ॥ १ ॥ सहयार रंजु वैदिप्ति रमन जिनु,
तं चेयनंद सुइ चेय जिनु ।
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