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श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
श्री ममल पाहुइ जी उत्पन्न विली हिय भुक्त विली जिनु,
सह गुपित विली उव विनंद विली ॥ अन्मोय उदेस सु परम पयं ॥ ४ ॥
॥भवियन.॥ अर्थति अर्थह अर्थ रमन जिनु,
अर्थ समय सम उवन पयं । सम समय दिगंतह सुयं रमन जिनु,
तं गम्य अगम्य अर्थग सुयं ।। तं अमिय रमन जिनु सिद्धि जयं ॥ ५ ॥
ते अभय
न
॥भवियन. ॥
विन्यान वीर्य तं विंद रमन जिनु,
राय विलय जनरंजु सुयं । नंतानंतु सु न्यान रमन जिनु,
तं न्यान वीर्य सुइ सिद्धि जयं ॥ भवियन अन्मोय तरन जिन मुक्ति जयं ॥ ६ ॥
॥भवियन.॥ सूष्यम परिनाम सु षिपक रमन जिनु,
विपि कम्मु नंत भय विलय सुयं । पर्जय जन कल मन अंधु सु विलयं,
अन्मोय न्यान धुव मुक्ति जयं ॥ दिपि दिस्टि अन्मोय सु ममल पयं ॥ ७ ॥
॥भवियन.॥ सुयं सु लषियं अलष रमन जिनु,
गम्य अगम्य सुइ सूत्र जयं ।
तं इस्ट उस्ट उत्पन्न रमन जिनु,
उत्पन्न गमिय सुइ सूत्र जयं ॥ अन्मोय दिस्टि सुइ सूत्र जयं ॥ ८ ॥
॥भवियन.॥ विन्यान न्यान विवहार रमन जिनु,
पर पर्जय विलय सु धुव रमनं । अर्थ तिअर्थ दिप्ति रै रमनं,
भय सल्य संक विलयंतु सुयं ॥ अन्मोय तरन सुइ सिद्धि जयं ॥ ९ ॥
॥भवियन.॥ न्यानंकुर उत्पन्न रमन जिनु,
लघु दीर्घ नहु दिस्टि जयं । अन्मोय न्यान सुइ दिप्ति दिस्टि रै,
आदं आद सुइ सब्द जयं ॥ अन्मोय न्यान अवगहै जिनं ॥ १० ॥
॥भवियन.॥ अहु परम तत्तु परमप्प परम जिनु,
परम वयन तं परम पयं । तं परम उत्तु उदेसु परम पय,
परम रमन रस गम अगमं ॥ केवल सुइ वयन सु सिद्धि जयं ॥ ११ ॥
॥ भवियन.॥
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