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श्री ममल पाहुइ जी अगुरुलघु तं नंत नंत जिनु,
सह समय रमन जिनु हिय रमनं । भय षिपनिक सक सल्य विलय जिनु,
अमिय रमन विष विलय जिनं ॥ तं ममल रमन सुइ सिद्धि जयं ॥ ६ ॥
॥ उव उवन. ॥ चेयन अवयास नंत जिन रमनं,
नंतानंत सु चेय जिनं । उव उवन सिरी हिययार रमन जिनु,
सहयार चेय जिनु रयन रमं ॥ तं ममल रमन सुइ सिद्धि जयं ॥ ७ ॥
॥ उव उवन.॥ अयं सुभाव न्यान सुइ रमनं,
अन्मोय न्यान पिय परम पयं । संसय संसार सरनि सुइ विलयं,
विक्त रूव अरूव पयं ॥ तं ममल रमन सुइ सिद्धि जयं ॥ ८ ॥
॥ उव उवन. ।। षट् अवयास षट् कमल रमन जिनु,
आयरन कमल गम अगम रयं । षट् रमन हियं हिययार अरुह जिनु,
अन्मोय तरन आयरन जिनं ॥ तं ममल रमन जिनु सिद्धि जयं ॥ ९ ॥
। उव उवन.॥
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी (१०) साधु गुज वह दंसन भेद फूलना
गाथा १८३६ से १८४८ तक
(विषय: सम्यकदर्शन के दस भेद) उव उवन साधु उववन्न रमन जिनु,
हिय उववंन षट् रमन पयं । सहयार उवन सुइ सहज रमन जिनु,
हिय उवन दिप्ति सुइ दिस्टि जिनं ॥
अन्मोय न्यान सिय धुव रमनं ॥ १ ॥ भवियन उव उवन रंजु भय षिपक रमन जिनु,
सुइ नंद नंद जिन नंद सुयं । हिय उवन रंजु तं अमिय रमन जिनु,
तं नंद नंद सुइ नंद मयं ॥ भवियन अन्मोय तरन सुइ ममल पयं ॥ २ ॥
॥आचरी॥ न्यान विन्यान सुइ समय सु रमनं,
सम समय संमत्तु सु धुव रमनं । सम दिप्ति दिस्टि सुइ सब्द रमन पिउ,
सम समय संमत्तु सु सिद्धि जयं ॥ अन्मोय तरन सुइ मुक्ति जयं ॥ ३ ॥
॥भवियन.॥ उव उवन उदेसु उवन सुइ रमनं,
उव उवन विंद हिय सहै समं ।
(२९८)